(विशेष प्रतिनिधि)
सिवनी (साई)। करोड़ों रूपये पानी में बहाने के बाद शहर के ऐतिहासिक दलसागर तालाब की सूरत को संवारना व्यर्थ ही साबित होता दिख रहा है। नगर पालिका की कथित उदासीनता के चलते दलसागर तालाब गंदगी के साये में ही प्रतीत हो रहा है।
शहर के मध्य में दलसागर तालाब है जिसे गौंडवाना शासन काल के राजा दलपत शाह ने बनवाया था। इसके चारों ओर पक्के घाट बने थे। वहीं दलसागर तालाब देखरेख के अभाव में गंदगी, दलदल में तेजी से तब्दील हो रहा है। तालाब को भी स्वच्छ रखने में नगर पालिका प्रशासन नाकामयाब साबित हो गया है। तालाब का एक हिस्सा ही लोगों को स्वच्छ नजर आता है बाकी के तीनों हिस्से गंदगी से अटे पड़े हैं।
बस स्टैण्ड से सोमवारी चौक का मार्ग तालाब के हिस्से की पार पर बना है। इस मार्ग के एक हिस्से में वाहन सुधारने वालों ने ताबड़ तोड़ कब्जा कर रखा है। वहीं मार्ग के दूसरे किनारे जहाँ तालाब की सुरक्षा के लिये लोहे की जालियां लगायी गयीं हैं वहाँ दर्जनों वाहनों का सुधार कार्य रात दिन चलता रहता है। वाहनों से निकलने वाला कीट, बेकार तेल तालाब में जाकर पानी को दूषित कर रहा है।
प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि वाहनों का जला हुआ ऑईल भी जल और मृदा प्रदूषण करने का कारक माना जाता है। इस लिहाज से उपयोग (जला) किया हुआ या वाहन से निकले हुए तेल का विनिष्टीकरण भी सुरक्षित विधि से किया जाना चाहिये।
दलसागर तालाब के सौंदर्यीकरण के लिये लाखों रुपये खर्च किये जा चुके हैं। पर्यटन विकास विभाग की ओर से तालाब के तीन हिस्सों में जाली भी लगायी जा चुकी है। वहीं तालाब को स्वच्छ बनाने के लिये नगर पालिका ने बोर्ड भी लगाया है जिसमें जुर्माने का प्रावधान है। इन सबके बावजूद खुलेआम तालाब को गंदा किया जा रहा है और इस मार्ग से अधिकारियों, कर्मचारियों समेत जन प्रतिनिधियों का आना – जाना सतत रूप से लगा रहता है। इसके बावजूद भी बदहाल हो रहे दलसागर तालाब की सुध कोई नहीं ले रहा है।
तालाब के किनारे गंदगी और वाहनों की धुलाई आदि से पानी जहाँ तेजी से दूषित हो रहा है वहीं तालाब में बड़ी संख्या में मछली पाली जा रहीं हैं। पानी के दूषित होने से मत्स्य पालकों को प्रति वर्ष हजारों रुपये की क्षति होती है। इस मामले की वे शिकायत भी करते हैं लेकिन नतीजा सिफर ही निकल रहा है।
पूर्व कलेक्टर पी.नरहरि के कार्यकाल में गंदे नाले को डायवर्ट करने के लिये लगभग साढ़े 12 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गयी थी। कार्य कराया गया लेकिन बारिश में दीवार ही धराशायी हो गयी, इससे पूरा गंदा पानी दलसागर तालाब में ही जा रहा था। वहीं पर्यटन विभाग ने तालाब को संवारने का जिम्मा अपने हाथों में तो लिया लेकिन वह भी पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया। इसके साथ ही समय – समय पर तालाब को स्वच्छ बनाने की कवायदें तो की जाती हैं लेकिन सारे कार्य महज औपचारिकताओं का मानों निर्वाह करते नजर आते हैं। ठोस रणनीति के अभाव में दलसागर तालाब तेजी से गर्त में जा रहा है।
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