(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। नगर के हृदय स्थल दुर्गा चौक स्थित राज राजेश्वरी माँ दुर्गा मंदिर में पूजा – पाठ करने बड़ी संख्या में लोग पहुँच रहे हैं। इसके साथ ही जिले भर के देवी मंदिरों में श्रद्धालुजनों का तांता लगा हुआ है। शहर के मराही माता सहित अन्य माता के मंदिरों में भी ज्योतिकलश स्थापित किये गये हैं।
इसी तरह ग्राम पंचायत चमारीखुर्द के अंतर्गत आने वाले दुर्गा मंदिर में चैत्र नवरात्र के पावन पर्व पर चौथेे वर्ष 155 ज्योति कलशों की स्थापना की गयी है। मंदिर में जगमगाते ज्योर्तिकलषों के दर्शन के लिये प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड मंदिर प्रांगण में पहुँच रही है।
इस अवसर पर ग्रामीणों द्वारा मंदिर परिसर को भी आकर्षक रूप से सजाया गया है। दिन भर दुर्गा पाठ के मंत्रों की गूंज से इस समय समस्त ग्राम का माहौल धर्ममय बना हुआ है। मंदिर में दुर्गा पाठ कर रहे पं.मोनू के द्वारा जानकारी देते हुए बताया कि सभी ग्राम वासियों के सहयोग से मातारानी के दरबार में इन ज्योति कलशों की स्थापना की गयी है, जिसका शनिवार को हवन के कार्यक्रम के बाद रविवार को विर्सजन किया जायेगा।
बाला भवानी मंदिर में जगमगा रहे 111 मनोकामना ज्योति कलश : शक्ति की भक्ति के महापर्व वसंत चैत्र नवरात्र का आरंभ शनिवार को जप तप व्रत के साथ हुआ। इस मौके पर नगर के देवी मंदिरों में प्रातः काल से ही आदि शक्ति का जलाभिषेक करने श्रद्धालुजन पहुँचे। बाला भवानी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ दिखायी देने लगी। श्रद्धालु श्रद्धा अनुसार व्रत भी रख रहे हैं।
मंदिरों में देवी जस के गुणगान से सारा वातावरण धर्ममय हो गया और भक्त भक्ति की शक्ति में लीन हो गये। गणेशगंज में माँ बाला भवानी मंदिर में नवरात्र आरंभ होते ही आसपास एवं दूर-दराज से आये भक्तों के द्वारा माता की आराधना की जा रही है। माँ बाला भवानी मंदिर के पुजारी ब्रह्मचारी राघवानंद महाराज ने बताया कि इस वर्ष भी माता के दरबार में चैत्र नवरात्र के अवसर पर 111 मनोकामना ज्योति कलश स्थापित किये गये हैं। श्रद्धालुओं की यह मान्यता है कि कलश स्थापना उन भक्तों द्वारा की जाती है जिनकी माँ के दरबार में मनोकामना पूरी हो चुकी है।
ब्रह्मचारी राघवानंद ने बताया कि नवरात्रि पर मंदिर प्रांगण में 13 अप्रैल को सुबह से अष्टमीं पूजन किया जायेगा। तत्पश्चात कन्या भोजन एवं विशाल भण्डारा होगा जो देर रात तक चलता रहेगा। इसमें श्रद्धालुओं द्वारा 09 दिनों तक उपवास रहने वाले श्रद्धालु नवमीं के दिन भण्डारे का प्रसाद लेकर अपना व्रत का समापन करेंगे एवं उसके बाद शाम पाँच बजे से जवारे ज्योति कलशों की शोभा यात्रा ढोलबाजों के साथ देवी जस गाते हुए निकाली जायेगी।