अस्थमा के मरीज रखें सेहत का ध्यान

 

 

(हेल्थ ब्यूरो)

सिवनी (साई)।  गर्मी की तेज धूप देखकर लगता है कि अस्थमा के मरीजों को थोड़ी राहत मिलेगी लेकिन गर्मी का बढ़ता तापमान, धूल, हीट स्ट्रोक अस्थमा के मरीजों को परेशान करने के लिये काफी है।

डॉक्टर्स मानते हैं कि किसी भी मौसम में बदलाव, सर्द-गर्म, उमस, नमी का माहौल होना अस्थमा पेशेंट्स के लिये नुकसान दायक होता है। इसलिये आवश्यक है कि गर्मी के मौसम में भी अस्थमा के मरीज अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और लापरवाही न करें।

क्या है अस्थमा : अस्थमा श्वसन संबंधी रोग होता है, जिससे  साँस  लेने में कठिनाई होती है।  साँस  नलियों में सूजन आ जाती है जिस कारण श्वसन मार्ग संकुचित हो जाता है। संकुचन के कारण साँस लेते समय आवाज आना, श्वास की कमी होना, सीने में जकड़न और खांसी की समस्याएं होने लगती हैं।

अस्थमा दो प्रकार का होता है। एक बाहरी एलर्जी के कारण जो जानवरों, धूल या बाहरी तत्वों की एलर्जी के कारण होता है। दूसरा आंतरिक अस्थमा जो रसायनिक तत्वों को साँस द्वारा अंदर खींचने से होता है जैसे कि सिगरेट का धंुआ, पेंट वेपर्स व अन्य।

अस्थमा के लक्षण : बलगम वाली या सूखी खांसी आना। सीने में जकड़न होना। साँस फूलना या साँस लेने में कठिनाई होना। साँस लेते या बोलते समय एक घरघराहट जैसी आवाज आना। रात और सुबह के साथ ज्यादा परेशानी होना। ठण्डे स्थान या ठण्डी हवा में साँस लेने में तकलीफ होना। व्यायाम करते समय साँस लेने में परेशानी होना। जोर – जोर से साँस लेना जिस कारण थकान महसूस होना। साँस लेने में ज्यादा परशोनी होने पर कई बार उल्टी होना।

दमा के कारण : वायु प्रदूषण, सर्दी, किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी होना या फिर किसी अन्य वस्तु से एलर्जी होना, धूम्रपान के कारण, कुछ दवाओं के रिएक्शन से भी दमा हो सकता है, शराब का सेवन भी दमा को बढ़ा सकता है, अधिक व्यायाम से भी अस्थमा बढ़ता है। भावनात्मक तनाव होना भी अस्थमा की एक बड़ी वजह हो सकता है। अस्थमा अनुवांशिक भी होता है।

गर्मी में इन बातों का रखें ध्यान : अस्थमा के मरीज गर्मी के मौसम में अपने शरीर के तापमान का भी ध्यान रखें। शरीर का गर्म होना अस्थमा के मरीजों के लिये सही नहीं होता। गर्मी में अस्थमा के मरीज ज्यादा तेज धूप में बाहर न निकलें लेकिन यह ध्यान रखें कि घर में नमी न हो। घर में मौजूद नमी अस्थमा के मरीजों के लिये सही नहीं। नमी की वजह से वातावरण में धूल के कण भर जाते हैं जिससे अस्थमा की समस्या उत्पन्न होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।

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