पानी में कमाई करोड़ों, बचा रहे शुुद्ध विक्रयकर
(अपराध ब्यूरो)
सिवनी (साई)। गर्मी का मौसम आते ही मशीन से ठण्डा किया गया पानी बेचने वालों की पौ बारह हो जाती है। नगर पालिका के साथ ही साथ स्वास्थ्य विभाग के अधीन आने वाले खाद्य एवं औषधी प्रशासन के द्वारा पानी की जाँच नहीं किये जाने से पंद्रह से पच्चीस लिटर के केन में ठण्डा पानी बेचने वालों के हौसले जमकर बुलंदी पर दिख रहे हैं।
बताया जाता है कि शहर के अंदर बीस से चालीस रुपये में लगभग बीस लिटर पानी देने का धंधा इन दिनों जमकर चल रहा है। यह पानी मिनरल वाटर के नाम पर बेचा जा रहा है। दिन भर में ये पानी बेचने वाले कितना पानी बेच रहे हैं, इनके चिलिंग प्लांट में कितनी साफ सफाई है, यह बात इनके संचालकों के अलावा और कोई नहीं जानता है।
विक्रय कर विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एक अनुमान के अनुसार एक एक चिलिंग और कथित रूप से लगाये गये मिनरल वाटर प्लांट के संचालक के द्वारा एक गर्मी के सीजन में पचास से सत्तर लाख रुपये प्रतिमाह की शुद्ध कमाई की जाती है। सूत्रों का कहना है कि संचालकों के द्वारा इसमें से फूटी कौड़ी भी विक्रयकर विभाग को कर के रूप में नहीं दी जाती है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि यदा कदा पानी का धंधा करने वालों के द्वारा विक्रयकर, आयकर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, जिला आपूर्ति अधिकारी आदि को कुछ तोहफे भेज दिये जाते हैं, जिससे इनके प्रतिष्ठानों में हिसाब किताब और अन्य बातें देखने की फुर्सत भी अधिकारियों को नहीं रह जाती है।
बताया जाता है कि पाउच के साथ ही साथ बीस लिटर के जार में बिकने वाले इस ठण्डे पानी को पीकर लोग आंत्रशोध, अमीबाईसिस, गेस्ट्रोइंट्राईटिस जैसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।

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