(संतोष बर्मन)
घंसौर (साई)। आदिवासी तहसील मुख्यालय घंसौर में इन दिनों सट्टे का कारोबार चरम पर है। घंसौर थाना क्षेत्र में चल रहे इस कारोबार से सट्टा खिलाने वाले मालामाल हो रहे हैं किन्तु रातों रात अमीर बनने के ख्वाब देखने वाले गरीब गुरबे इसमें फंसकर कंगाल होते जा रहे हैं।
शहर में चल रहीं चर्चाओं के अनुसार शहर के मध्य बनी एक गुमटी सटोरियों के लिये सुरक्षित अड्डे के रूप में उभर रही है। इसके अलावा झण्डा चौक, हाई स्कूल रोड आदि क्षेत्रों के कई घरों से ही सटोरियों के द्वारा कारोबार करने की चर्चाएं हैं।
पिछले दिनों हुई छुटपुट कार्यवाहियों को छोड़ दिया जाये तो कई दिनों से नगर में सटोरियों पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही प्रकाश में नहीं आयी है। उल्लेखनीय होगा कि पिछले दिनों शांति समिति की बैठक में शामिल हुए पुलिस अधीक्षक ललित शाक्यवार ने जनता के सामने घंसौर थाना के स्टाफ को स्पष्ट शब्दों में निर्देश दिये थे कि सट्टा एक सामाजिक बुराई है इसे पूर्णतः बंद करना पुलिस का लक्ष्य है।
लोगों का कहना है कि जिला पुलिस अधीक्षक के द्वारा शांति समिति की बैठक में कही गयी बात चुनावी जुमले के रूप में ही सामने आ रही है, क्योंकि उनके मातहतों के द्वारा ही उनके द्वारा दिये गये निर्देशों को हवा में उड़ा दिया गया है, जिसके परिणाम स्वरूप घंसौर में सट्टे का कारोबार चरम पर चल रहा है।
हाईटेक हुआ सट्टे का कारोबार : जानकार सूत्र बताते हैं कि वर्तमान समय में नगर में चल रहा सट्टे का कारोबार बेहद ही हाईटेक तरीके से चल रहा है। इन दिनों सट्टे के कारोबार में मोबाईल और लेपटॉप जैसे आधुनिक यंत्रों का उपयोग बढ़ गया है। सट्टे के धंधे में इन दिनों व्हाट्सएप मैसेंजर एवं फोन मैसेजों का भरपूर उपयोग देखा जा रहा है।
चर्चाएं तो यहाँ तक भी हैं कि बिना पुलिस संरक्षण के इस पैमाने पर क्षेत्र में सट्टे का कारोबार किसी भी कीमत पर नहीं किया जा सकता है। वहीं, पुलिस के द्वारा इस मामले में बड़ी कार्यवाही न किये जाने के कारण पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी अनेक सवालिया निशान खड़े होते दिख रहे हैं।