(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। राज्य शासन ने प्रदेश की प्रमुख फसल गेहूँ की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने के लिये किसानों को प्रोत्साहित करने के लिये जय किसान समृद्धि योजना लागू की है।
योजना के जरिये किसानों को गेहूँ पर 160 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। प्रमुख सचिव, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने जिला कलेक्टरों को योजना के क्रियान्वयन और पर्यवेक्षण के लिये निर्देश जारी किये हैं। योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिये जिला कलेक्टरों की अध्यक्षता में जिला क्रियान्वयन समितियों का गठन किया गया है।
योजना में स्वीकृत घटक : योजना में रबी 2018-19 (रबी मार्केटिंग सीजन 2019-20) के लिये घटक स्वीकृत किये गये हैं। इनके अनुसार न्यूतम समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जित कराने वाले किसानों के बैंक खातों में 160 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि जमा करायी जायेगी।
पंजीकृत किसान द्वारा बोनी एवं उत्पादकता के आधार पर उत्पादन की पात्रता की सीमा तक उपार्जन अवधि में कृषि उपज मण्डी में विक्रय करने पर भी 160 रुपये प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। मण्डी में गेहूँ न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे अथवा ऊपर के भाव पर बेचा गया हो, दोनों ही परिस्थिति में योजना पंजीकृत किसान को प्रोत्साहन राशि का लाभ दिया जायेगा। गेहूँ की उपार्जन अवधि में बढ़ौत्तरी की दशा में मण्डी में विक्रय अवधि स्वमेव मान्य होगी।
इसी प्रकार मण्डी बोर्ड द्वारा जिन संस्थाओं को क्रय केन्द्र स्थापित कर कृषकों की उपज सीधे क्रय करने के लिये एकल लाईसेंस प्रदान किये गये हैं, उनके केन्द्र पर गेहूँ विक्रेता पंजीकृत किसानों को भी पात्रतानुसार योजना का लाभ दिया जायेगा। प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिये किसान को ई – उपार्जन पोर्टल पर गेहूँ उपार्जन का पंजीयन कराना अनिवार्य होगा।
क्रियान्वयन : प्रदेश में गेहूँ का ई – उपार्जन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, नागरिक आपूर्ति निगम तथा राज्य सहकारी विपणन संघ के जरिये किया जायेगा। पोर्टल पर दर्ज तथा उपार्जित मात्रा योजना की प्रोत्साहन राशि के भुगतान के लिये मान्य होगी।
गेहूँ उपार्जन के लिये पंजीकृत किसान नियत उपार्जन अवधि में कृषि उपज मण्डी समिति में बोनी के सत्यापित रकबे तथा उत्पादकता को गुणा करने पर आयी मात्रा अनुसार पात्रता की सीमा तक गेहूँ विक्रय कर सकेंगे। पात्रता में उपार्जन के बाद शेष बची गेहूँ की मात्रा पर मण्डी में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम अथवा ज्यादा विक्रय दर पर विक्रित गेहूँ को भी मण्डी में तैयार पोर्टल पर किसान की आई.डी. के साथ दर्ज किया जायेगा।
पंजीकृत किसानों को मण्डी में विक्रय अवधि में विक्रय के समय ई – उपार्जन पोर्टल पर प्राप्त पंजीयन आई.डी. क्रमाँक की पर्ची तथा आधार-कार्ड की प्रतिलिपि, दोनों ही मण्डी समिति को विक्रय करते समय देना आवश्यक होगा। मण्डी में विक्रय किये गये गेहूँ पर लायसेंसी क्रेता द्वारा पंजीकृत विक्रेता किसान को विक्रय किये गये गेहूँ के कुल मूल्य का 50 प्रतिशत अथवा 10 हजार रुपये, दोनों में से जो भी कम हो, का भुगतान किसान के बैंक खाते में अनिवार्य रूप से आरटीजीएस, नेफ्ट द्वारा करना होगा। मण्डी में पारदर्शी रूप से पंजीकृत किसानों द्वारा विक्रय करने तथा योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये प्राथमिकता से कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
कृषि उपज मण्डी में उपार्जन अवधि समाप्त होने पर पंजीकृत किसान द्वारा गेहूँ विक्रय किये जाने पर प्रोत्साहन राशि देय नहीं होगी। ई-उपार्जन पोर्टल पर गेहूँ की उपार्जित मात्रा तथा मण्डी में विक्रय की मात्रा को पात्रता की सीमा तक गणना कर किसानवार प्रोत्साहन राशि का अलग से डाटाबेस तैयार किया जायेगा। तदनुसार कलेक्टर द्वारा संचालक, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास को माँग-पत्र प्रस्तुत किया जायेगा।
जिला क्रियान्वयन समितियाँ गठित : योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिये जिला कलेक्टरों की अध्यक्षता में जिला क्रियान्वयन समितियों का गठन किया गया है। उप संचालक, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास को समिति के सदस्य सचिव है। जिला पंचायत सदस्य एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अतिरिक्त कलेक्टर, राजस्व, उप पंजीयक, सहकारी संस्थाएँ, जिला खाद्य अधिकारी, जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक, राज्य सहकारी विपणन संघ के जिला प्रबंधक, जिला लीड बैंक अधिकारी और जिला मुख्यालय की कृषि उपज मण्डी समिति के सचिव को समिति का सदस्य बनाया गया है।
समिति द्वारा प्रत्येक लाभान्वित किसान के बैंक खाता क्रमाँक की प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति की सूची पर मैदानी अमले के सत्यापन की गहन समीक्षा की जायेगी। उपार्जित गेहूँ के लिये प्राप्त आवंटन जिला कोषालय से आरटीजीएस, नेफ्ट के माध्यम से ई-उपार्जन पोर्टल पर उपलब्ध लाभान्वित किसानों के सत्यापित बैंक खातों में जमा करायी जायेगी। समिति द्वारा इस कार्य का गहन परीक्षण, समीक्षा एवं सर्वेक्षण भी किया जायेगा। विवाद की स्थिति में जिला कलेक्टर की समिति स्थानीय जाँच करवाने और जाँच के बाद 15 दिन में निर्णय लेकर नवीन प्रमाणीकृत बैंक खातों में राशि प्रदान करने के लिये अधिकृत होगी।
लाभान्वित किसानों को ई-उपार्जन पोर्टल पर दर्ज मोबाइल नम्बर पर योजना में जमा करायी गयी राशि की जानकारी एसएमएस से आवश्यक रूप से दी जायेगी। लीड बैक अधिकारी समस्त लाभान्वित किसानों को बैंक खातों में प्रदाय राशि पहुँचने की पुष्टि संबंधित बैंक शाखाओं से करेंगे। इसके बाद ही जिला कलेक्टर द्वारा संचालक, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास को उपयोगिता प्रमाण-पत्र भेजा जायेगा।
कृषि केबिनेट करेगी योजना का पर्यवेक्षण : राज्य स्तर पर क्रियान्वयन का पर्यवेक्षण कृषि केबिनेट करेगी। जिला स्तर पर पर्यवेक्षण जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित अंकित समिति द्वारा किया जायेगा। गेहूँ की खेती करने वाले किसानों की प्रौन्नति और संतुष्टि के आकलन संबंधी सर्वेक्षण अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान और किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा करेंगे।