रामकथा श्रवण से निकलता है मन का जहर

 

(ब्यूरो कार्यालय)

मोहगाँव (साई)। मानव मात्र को कभी अहंकार नहीं करना चाहिये, क्योंकि यदि जल से भरे एक घड़े में हम एक-एक कर के पत्थर डालते जाते हैं तो धीरे – धीरे वह घड़ा कंकड़ से भर जाता है तथा जल से रिक्त हो जाता है। वैसे ही यदि हम अपने शरीर रूपी घड़े में, अहंकार रूपी कंकड़ ज्यादा डालेंगे तो हमारा शरीर शीलगुण रूपी पानी से रिक्त हो जायेगा।

उक्ताशय की बात गोपालगंज स्थित पुण्य सलिला बैनगंगा तट मनसापूर्ण हनुमान घाट में जारी श्रीराम कथा में कथा वाचक बाल व्यास दिव्यांशु महाराज ने श्रद्धालुजनों से कही।

उन्होंने आगे कहा कि रामकथा सुनने से मन का जहर निकलता है। भक्ति और आध्यात्म के मार्ग पर आना कठिन है, जो इस मार्ग पर आते हैं उन पर प्रभु की विशेष कृपा रहती है। रामकथा के श्रवण से जीवन जीने की अनूठी शैली प्राप्त होती है। प्रभु श्रीराम अवतारों की उन परंपराओं में मर्यादा के साक्षात आदर्श थे। लोगों के जीवन में कभी भी कोई समस्या आती है तो भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े प्रसंग से समाधान मिलते हैं।

यहाँ चल रही श्रीराम कथा का समापन शनिवार को होगा। इसके साथ ही रविवार 13 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा के दिन हवन पूजन प्रसाद भण्डारा एवं जस प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा।