(जाहिद शेख)
कुरई (साई)। ब्रितानी घुमंतू पत्रकार रूडयार्ड किपलिंग की सुप्रसिद्ध किताब जंगल बुक के हीरो मोगली की कथित कर्मभूमि और अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध पेंच टाईगर रिज़र्व में 70 से अधिक बाघ हैं। यह दावा पेंच प्रबंधन का है, लेकिन विगत कुछ दिनों के अंतराल में एक बाघ की मौत और दूसरी बाघिन के शिकार के मामले के बाद सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गये हैं।
इसमें खास है कि प्रदेश व केन्द्र के साथ ही विभिन्न संस्थाओं से करोड़ों रुपये बाघ व पर्यावरण संरक्षण के नाम पर प्रतिवर्ष खर्च होते हैं। सैकड़ों कर्मचारियों पर शासन अलग से करोड़ों रुपये खर्च करती हैं। इसके बावजूद इसकी सुरक्षा व संरक्षण को लेकर महकमा गंभीर नजर नहीं आ रहा है।
गौरतलब है कि छः मार्च को कोठारा बीट कक्ष क्रमाँक 330 में एक बाघिन का शव मिला। उसके आगे के दो पंजे और पूंछ गायब थे। पेंच प्रबंधन ने इसे शिकार का मामला मानते हुए जाँच आरंभ कर दी। लगभग सप्ताहभर का समय पार हो जाने के बाद भी पेंच प्रबंधन को बाघिन के गायब पंजे और पूंछ नहीं मिल सके और न ही इस मामले में शिकारियों का कोई सुराग ही मिल सका है। प्रबंधन का दावा है कि जाँच की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही आरोपी पकड़े जायेंगे। उधर इस मामले में भोपाल से उच्चाधिकारियों ने भी पेंच प्रबंधन से सवाल – जवाब किये हैं।
कर्मचारियों की कमी आ रही आड़े : पेंच टाईगर रिज़र्व के बफर और कोर का क्षेत्रफल लगभग 1175 किलोमीटर है। यहाँ पहले से ही कर्मचारियों की कमी बनी हुई है। इस बीच एसडीओ सहित लगभग 10 कर्मचारियों का स्थानांतरण विगत कुछ माह के अंतराल में हुआ है, लेकिन उनकी जगह किसी की पोस्टिंग नहीं हुई है।
इसके नतीजे के फलस्वरूप अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी के कारण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। शिकारियों की धरपकड़ में भी प्रबंधन की सुस्ती कर्मचारियों की कमी से होने का अनुमान लगाया जा रहा है। कर्मचारियों के स्थानांतरण की पुष्टि डिप्टी डायरेक्टर एम.बी. सिरसैया ने की है।
पेंच नेशनल पार्क का बफर क्षेत्र 764 वर्ग किलो मीटर का है। इसमें कोर क्षेत्र 411 वर्ग किलो मीटर, मिलाकर कुल क्षेत्र 1175 वर्ग किलो मीटर है। इसमें बाघों की संख्या 70 से अधिक (30 शावक, ढाई साल तक के) है एवं सौ से ज्यादा तादाद में तेंदुए हैं।