कोरे फॉर्म पर कराये जा रहे हितग्राहियों से हस्ताक्षर!

 

 

0 कंपनियों के ब्रांड एंबेसेडर बने . . . 04

भाजपाई विधायक क्यों नहीं कर रहे अनुशंसा!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। जिले के चयनित किसानों को आदिवासी योजना के तहत मिलने वाले मोटर पंप और पाईप को कंपनी विशेष का देने का मामला गहराता जा रहा है। इस मामले में काँग्रेस के विधायकों ने वरूण और कोठारी कंपनी की सामग्री प्रदाय करने की अनुशंसा की है तो दूसरी और भाजपा के विधायकों ने इस मामले में न तो पत्र लिखा है और न ही किसी की अनुशंसा की है।

प्रदेश में काँग्रेस की सत्ता है, इसके बाद जिले के दो काँग्रेसी विधायकों योगेंद्र सिंह और अर्जुन सिंह काकोड़िया के द्वारा कोठारी कंपनी के पाईप और वरूणा कंपनी की मोटर किसानों को प्रदाय करने की अनुशंसा की गयी थी। इधर, किसान अपनी मर्जी से ही मोटर और पाईप खरीदने की मंशा रख रहे बताये जा रहे हैं।

एमपी एग्रो के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि लखनादौन और बरघाट के काँग्रेस पार्टी के विधायकों के द्वारा कंपनी विशेष की सामग्री प्रदाय किये जाने के पत्र लिखे जाने के बाद एमपी एग्रो के जिला प्रबंधक कार्यालय के द्वारा नियम कायदों को बलाए ताक पर रख दिया गया है।

इधर, आदिवासी विकास खण्ड में निवासरत किसानों का कहना है कि उनकी मर्जी के बिना ही इन दोनों ही कंपनियों की सामग्री उन्हें जबरन खरीदने पर मजबूर किया जा रहा है। किसानों का दो टूक कहना है कि वे इन कंपनियों की सामग्री की खरीद नहीं करेंगे।

एमपी एग्रो के सूत्रों ने आगे बताया कि इस पूरे खेल में भ्रष्टाचार की जमकर गंध आ रही है। इस खेल में जनपद पंचायतों के एडीओ की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। कुछ एडीओ के द्वारा तो किसानों को गुमराह करते हुए उनसे कोरे प्रपत्रों पर हस्ताक्षर करवा लिये गये हैं। इन प्रपत्र में सहमति पत्र, संतुष्टि पत्र और सिर्फ वरूणा और कोठारी कंपनी के कोटेशन हैं जिनमें किसानों से हस्ताक्षर कराये एवं अंगूठा लगवाया गया है।

सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले का दूसरा पहलू यह है कि जिन कंपनियों के मोटर पंप और पाईप खरीदने की अनुशंसा खुले तौर पर बिना किसी किसान का नाम लिखे ही बरघाट विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया और लखनादौन विधायक योगेंद्र सिंह के द्वारा की गयी है उस कंपनी के द्वारा भाजपा के सिवनी विधायक दिनेश राय और केवलारी विधायक राकेश पाल सिंह को साधने का प्रयास तो किया गया है पर दोनों ही के द्वारा इस तरह के मामलों में पारदर्शिता बरतने की बात कहकर कंपनी के प्रतिनिधियों को बैरंग लौटा दिया गया था।

सूत्रों का कहना है कि यह मामला छोटा मोटा नहीं है, पर इस मामले में सत्तारूढ़ काँग्रेस का जिला संगठन पूरी तरह मौन है तो दूसरी और विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी के द्वारा भी हाथ आये इस बेहतरीन मामले में भी मौन साधे रखा गया है। ऐसा नहीं कि भाजपा के द्वारा काँग्रेस के खिलाफ बयानबाजी नहीं की जा रही है पर स्थानीय मामले में भाजपा के द्वारा अब तक कुछ भी नहीं कहा गया है जो आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।

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