मानव के पतन का कारण अभिमान

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। महा कालेश्वर धाम में आयोजित संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा के दौरान ओम शंकर कृष्ण रसिक महाराज ने बताया कि मानव के पतन का संकेत है अभिमान।

महाराजश्री ने कहा कि जब व्यक्ति के अंदर धन, बल, रुप, विद्या अथवा ख्याति का अभिमान आना प्रारंभ हो जाता है, तो ठीक उसी समय से उस व्यक्ति का पतन भी प्रारंभ हो जाता है और जब ईश्वर के सच्चे भक्तों के हृदय में अभिमान का बीज अंकुरण होता है, तो परमात्मा अपने भक्तों को पतित होने से बचाने के लिये अबिलंब उस भक्त के अभिमान को खण्डित करते हैं।

उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि जैसे आपका बच्चा मैदान में बच्चों के समूह में कुछ अभद्र कृत्य कर रहा है, तो आप अपने बच्चे को सुधारने के लिये समझाईश भी देंगे एवं डांट फटकार भी लगायेंगे। यही स्थिति भक्त और भगवान के बीच भी है। ईश्वर ने अपने भक्तों के अभिमान को खण्डित करने में विलंब नहीं किया है।

महाराजश्री ने नारद एवं इन्द्र आदि के अभिमान का मर्दन भगवान ने किया। उदाहरण से समझाया। प्रसंगवत कथा में श्रीकृष्ण जी का वृंदावन पहुँचना एवं रास लीला की कथा आदि – आदि विविध कथाओं के उपरांत रुक्मणी – कृष्ण विवाह की झाँकी आकर्षण का केन्द्र रही। इस विवाह महोत्सव में भक्तों ने विवाह के भजनों में जमकर नृत्य किया। कथा में क्षेत्रीय एवं नगरीय श्रोता भक्त अत्याधिक संख्या में पहुँच रहे हैं।