यहाँ कहीं नहीं बनती खाने की बर्फ!

 

 

फिर कौन सी बर्फ खा-पी रहे हैं आप!

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। गन्ने का रस, नींबू पानी, शिकंजी हो या फिर खाने पीने की दीगर चीजें, सभी को शीतलता प्रदान (ठण्डा) करने के लिये सफेद रंग की बर्फ मिलायी जा रही है, लेकिन यह बर्फ आपकी सेहत बिगाड़ सकती है।

जानकारों का कहना है कि इसकी वजह यह है कि इस बर्फ की कोई जाँच नहीं होती। जाँच इसलिये नहीं होती कि शहर में खाद्य बर्फ बनाने की कोई फैक्ट्री ही नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शहर में रोजाना खपने वाली सैकड़ों क्विंटल बर्फ कहाँ से आ रही है।

खाद्य विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि फूड सेफ्टी एण्ड स्टेंडर्ड एथॉरिटी ऑफ इंडिया ने (एफएसएसएआई) खाद्य व अखाद्य बर्फ में फर्क करने के लिये अखाद्य बर्फ को नीला करने को कहा है। एक महीने पहले जारी इस आदेश का सिवनी सहित प्रदेश में कहीं भी पालन नहीं हो रहा है। राज्य सरकार अब से बर्फ निर्माताओं पर सख्ती करने की तैयारी में है।

सूत्रों की मानें तो सिवनी में खाने योग्य बर्फ तैयार करने की एक भी फैक्ट्री नहीं है। उधर, शहर से लेकर गाँव – गाँव में हर स्थान पर बर्फ का उपयोग, खाने पीने में किया जा रहा है। दूसरे जिलों से भी यहाँ बर्फ नहीं आ रही है। इससे साफ है कि शहर में इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर बर्फ अखाद्य श्रेणी की ही है।

सूत्रों ने कहा कि बर्फ की किसी तरह की पैकिंग नहीं की जाती है। ऐसे में यह पता करना मुश्किल होता है कि कौन सी बर्फ खाने वाली है और कौन सी नहीं। दुकानदार इसका फायदा उठाकर अखाद्य बर्फ भी खाने पीने की चीजों में मिलाकर बेचते हैं। यह समस्या अकेले सिवनी या प्रदेश की नहीं, बल्कि पूरे देश की है। लिहाजा एफएसएसआई ने अखाद्य बर्फ का रंग नीला करने के निर्देश साल भर पहले दिये थे।

जानकारों का कहना है कि इसका उपयोग किसी चीज को बाहर से ठण्डा करने के लिये किया जाता है। लिहाजा इस बर्फ की बड़ी सिल्ली बनायी जाती है। कारखानों में साफ लिखा रहता है कि यह बर्फ खाने योग्य नहीं है। इसके बाद भी इसके टुकड़े कर खान पान की चीजों में इस्तेमाल किया जा रहा है। अखाद्य बर्फ में उपयोग होने वाले पानी के लिये कोई मापदण्ड नहीं है। साफ – सफाई का ध्यान भी नहीं रखा जाता है।

खाद्य बर्फ में इन मापदण्डों का पालन आवश्यक : जानकारों की मानें तो खाद्य बर्फ बनाने के लिये खाद्य एवं औषधि प्रशासन से लाईसेंस लेना होता है। बर्फ बनाने के लिये आरओ का पानी इस्तेमाल करना होता है। कारखाने में साफ – सफाई का विशेष ध्यान रखना होता है। कर्मचारियों का मेडिकल भी कराना होता है। फूड सेफ्टी एण्ड स्टेंडर्ड एक्ट के तहत लेब में जाँच करायी जा सकती है।

खाद्य एवं औषधि प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि न खाने योग्य बर्फ का लाईसेंस, उनके यहाँ से जारी नहीं किया जाता। इस वजह से उन पर कार्यवाही भी नहीं कर सकते। रंग बदलने को लेकर निर्देश दिये गये थे अथवा नहीं इस बारे में भी शायद ही कोई जानता हो।

SAMACHAR AGENCY OF INDIA समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.