आज घर-घर बिराजेंगे विघ्नहर्ता

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। भादो माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (चौथ) तिथि पर सोमवार को शहर में प्रथम पूज्य देव श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाएगी। गणेशोत्सव के मौके पर विभिन्न इलाकों में गणेश भगवान की प्रतिमाएं स्थापित कर पूजा की जाएगी।

दो सितंबर को मूर्ति स्थापना और 12 सितंबर को गणपति की बिदाई होगी। गणपति बप्पा की मूर्तियां तैयार करने वाले कारीगरों ने मूर्तियों की सजावट कर तैयार कर दी है। गणेेश महोत्सव निकट आते ही विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं भी तैयारियों में लग गई हैं।

सोमवार को चतुर्थी पर गणपति द्वार पूजा होगी। इसके बाद मूर्ति को आसन पर विराजमान करवाया जाएगा। गणेश पूजा करके दक्षिणा, नारियल, पान, धूप, लड्डू,फल और गन्ना आदि गणपति को भेंट किए जाएंगे। पंडित दिलीप कुमार शुक्ला ने बताया कि भगवान शिव ने शिव पुराण में कहा है कि बेशक मैं पिता हूं लेकिन मुझसे पहले भी तुम्हारी पूजा होगी।

उन्होंने बताया कि शिव की पूजा में भी गणपति महाराज की पूजा सर्वप्रथम होती है। शास्त्रों में देवताओं की पार्थिव प्रतिमाएं ही स्थापित करने का उल्लेख है। पृथ्वी का दूसरा नाम ही माटी है। चूंकि हम सब माटी से बने हैं। हम जिन देवताओं की आराधना या पूजा करते हैं उनका स्वरूप परंपरागत रूप से माटी से ही गढ़ा जाता है। जिस तरह कण-कण में भगवान की कल्पना की गई है वह माटी से ही सार्थक होता है। माटी हर जगह होती है इसीलिए भगवान को भी हर जगह उपलब्ध माना और कहा जाता है। यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने देव प्रतिमाओं के निर्माण में माटी के उपयोग को सर्वश्रेष्ठ बताया है।

आज घर-घर बिराजेंगे विघ्नहर्ता

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सिवनी (साई)। भादो माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (चौथ) तिथि पर सोमवार को शहर में प्रथम पूज्य देव श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाएगी। गणेशोत्सव के मौके पर विभिन्न इलाकों में गणेश भगवान की प्रतिमाएं स्थापित कर पूजा की जाएगी।

दो सितंबर को मूर्ति स्थापना और 12 सितंबर को गणपति की बिदाई होगी। गणपति बप्पा की मूर्तियां तैयार करने वाले कारीगरों ने मूर्तियों की सजावट कर तैयार कर दी है। गणेेश महोत्सव निकट आते ही विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं भी तैयारियों में लग गई हैं।

सोमवार को चतुर्थी पर गणपति द्वार पूजा होगी। इसके बाद मूर्ति को आसन पर विराजमान करवाया जाएगा। गणेश पूजा करके दक्षिणा, नारियल, पान, धूप, लड्डू,फल और गन्ना आदि गणपति को भेंट किए जाएंगे। पंडित दिलीप कुमार शुक्ला ने बताया कि भगवान शिव ने शिव पुराण में कहा है कि बेशक मैं पिता हूं लेकिन मुझसे पहले भी तुम्हारी पूजा होगी।

उन्होंने बताया कि शिव की पूजा में भी गणपति महाराज की पूजा सर्वप्रथम होती है। शास्त्रों में देवताओं की पार्थिव प्रतिमाएं ही स्थापित करने का उल्लेख है। पृथ्वी का दूसरा नाम ही माटी है। चूंकि हम सब माटी से बने हैं। हम जिन देवताओं की आराधना या पूजा करते हैं उनका स्वरूप परंपरागत रूप से माटी से ही गढ़ा जाता है। जिस तरह कण-कण में भगवान की कल्पना की गई है वह माटी से ही सार्थक होता है। माटी हर जगह होती है इसीलिए भगवान को भी हर जगह उपलब्ध माना और कहा जाता है। यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने देव प्रतिमाओं के निर्माण में माटी के उपयोग को सर्वश्रेष्ठ बताया है।

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