शाला में पानी की बॉटल ले जाने मजबूर हैं विद्यार्थी
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। केंद्रीय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के नियम हैं कि स्कूलों में न सिर्फ पीने के साफ पानी (ड्रिंकिंग वॉटर) की व्यवस्था हो, बल्कि स्वास्थ्य विभाग से पानी की टेस्टिंग करवाकर उसका सर्टिफिकेट भी लिया जाये। बावजूद इसके शहर के ज्यादातर सीबीएसई स्कूलों में साफ पानी के पर्याप्त इंतजाम तक नहीं हैं।
अच्छी पढ़ाई और सुविधाओं के नाम पर पालकों से मोटी फीस वसूलने वाले स्कूलों में जो पानी उपलब्ध कराया जा रहा है उसकी शुद्धता पर पालकों को संदेह है। इसलिये बच्चे घर से ही पीने का पानी, बॉटल में भरकर स्कूल ले जा रहे हैं। जो न सिर्फ स्कूलों के मापदण्ड पर सवाल खड़े कर रहा है, बल्कि बस्ते का बोझ भी बढ़ा रहा है।
पालकों का कहना है कि स्कूलों का पानी शुद्ध है, इसकी गांरटी नहीं है। स्कूल प्रबंधन ने कभी भी स्वास्थ्य विभाग का सर्टिफिकेट नहीं दिखाया जिसमें पानी की शुद्धता का उल्लेख हो। स्कूल एक से लेकर 08 हजार रूपये तक प्रतिमाह फीस तो ले रहे हैं पर सुविधाएं नहीं दे रहे हैं। इन परिस्थितियों में बच्चों की सेहत से समझौता नहीं किया जा सकता है।
शहर की सीबीएसई स्कूलों में साफ पानी के इंतजामों को जब टटोला गया तो पाया गया कि ज्यादातर स्कूलों में बच्चे आधा से लेकर एक लीटर तक की पानी की बॉटल बस्ते में लादे या गले में लटकाये मिले। शालाओं में वाटर प्यूरीफायर लगे होना तो बताया जाता है किन्तु इनकी साफ सफाई कब-कब की जाती है किसी को पता नहीं। इसी तरह शालाओं के पानी के ओव्हर हेड टैंक में भी कब सफाई हुई, शायद ही कोई जानता हो।
ग्रामीण अंचलों के हालात तो बद से बदतर ही नज़र आते हैं। ग्रामीण अंचलों के सरकारी और निजि स्कूलों में पेयजल की समुचित व्यवस्थाएं नहीं हैं। इसके बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी और आदिवासी विकास विभाग के कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा इस दिशा में किसी तरह की कार्यवाही नहीं की जाती है।
ये है गाईड लाईन : सीबीएसई बोर्ड ने बस्तों का बोझ कम करने स्कूलों में पानी के इंतजामों की व्यवस्था भी मान्यता संबंधी मापदण्डों में भी जोड़ दिया है। बोर्ड के नियम हैं कि स्कूलों में पानी के पर्याप्त इंतजाम हों। पानी की टेस्टिंग स्वास्थ्य विभाग से करायी जाये और सर्टिफिकेट प्राप्त कर उसे स्कूल की वेबसाईट में अपलोड किया जाये।
कितना हो बस्ते का वजन : पहली और दूसरी कक्षा के बस्तों का वजन दो किलो से अधिक न हो। इसी तरह तीसरी और चौथी के बस्तों का बोझ तीन किलो, पाँचवीं से सातवीं तक चार किलो और आठवीं से बारहवीं कक्षा तक बस्ते का अधिकतम बोझ 06 किलो तय किया गया है।