पति को पता नहीं बच्चों के नाम दर्ज हो गयी माता की जमीन
(अपराध ब्यूरो)
सिवनी (साई)। बरखा की संदिग्त मौत के बाद अब जो बातें सामने आ रही हैं उससे लग रहा है कि यह मामला ओपन एण्ड शट केस की तरह कतई नहीं है। बरखा के पिता राजेंद्र भारद्वाज की मानें तो बरखा के पति प्रियंक और सास मंजू पाठक के द्वारा उनकी पुत्री की हत्या पैसों के लिये ही की गयी है।
राजेंद्र भारद्वाज ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान बताया कि उनकी पत्नि (बरखा की माँ) का निधन लगभग दो ढाई साल पहले हो चुका है। बरखा की माता के नाम से बींझावाड़ा में पटवारी हल्का नंबर 97 खसरा नंबर 569/6 में 0.11 हेक्टेयर, खसरा नंबर 596/ 22 में 0.19 हेक्टेयर एवं खसरा नंबर 569/8 में कुल रकबा 0.61 हेक्टेयर दर्ज था।
उन्होंने बताया कि इस भूमि के संबंध में उन्हें एक परिचित अधिवक्ता के द्वारा 17 मार्च को बताया गया कि इस भूमि के नामाँतरण की कार्यवाही उनकी पुत्री के द्वारा करवायी गयी है। उन्होंने जब इस संबंध में जानकारी चाही तो उन्हें पता चला कि राजस्व प्रकरण क्रमाँक 172/ अः6/ 2018 – 19 में 15 जनवरी को आदेश पारित किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि उनकी पत्नि लक्ष्मी भारद्वाज का निधन 07 जुलाई 2017 को होने के बाद लक्ष्मी भारद्वाज का नाम विलोपित करते हुए उनके वारिसान के रूप में दो पुत्रियों पूर्वा एवं बरखा और एक पुत्र विवेक का नाम उसमें दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि जब पति के रूप में वे अभी जीवित हैं और वारिसान में सबसे पहले उनका अधिकार बनता है, इसके बाद भी उन्हें नजर अंदाज कर षड्यंत्र रचा गया है।
राजेंद्र भारद्वाज ने आरोप लगाया कि बरखा के पति के द्वारा विधायक दिनेश राय की करीबी का लाभ उठाकर राजस्व अधिकारियों पर दबाव बनाते हुए विधि विरूद्ध यह आदेश पारित करवा दिया गया है, जबकि उत्तराधिकारी अधिनियम की धारा 14 के तहत पत्नि के निधन के बाद पति का पहला हक उसकी संपत्ति पर होता है।
राजेंद्र भारद्वाज ने रूंधे गले से कहा कि उनकी पुत्री इस तरह की मानसिकता वाली नहीं थी कि उसके द्वारा इस तरह अपने पिता को दरकिनार कर इतना बड़ा कदम उठाया जाता। उन्होंने कहा कि ये सारी कार्यवाहियां बरखा ने अपने पति प्रियंक एवं सास मंजू की कुटिल चालों के चलते ही किया।
राजेंद्र भारद्वाज ने कहा कि उनकी पुत्री के ससुराल पक्ष के लोगों से पुलिस को कड़ाई से पूछताछ की जाना चाहिये ताकि वे यह बता सकें कि घटना वाली रात्रि असल में हुआ क्या था? उन्होंने पुलिस अधीक्षक से अपेक्षा व्यक्त की है कि बरखा के फोन के काल रिकॉर्डस के अलावा व्हाट्सएप संदेश आदि की जाँच भी बारीकी से की जाये ताकि इस मामले से पर्दा उठ सके।