संक्रमण की जद में अस्पताल . . . 03
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। जिला चिकित्सालय परिसर गंदगी से बजबजा रहा है, अस्पताल में मच्छरों की फौज मरीजों को हलाकान कर रही है पर अस्पताल प्रशासन नीरो के मानिंद चैन की बंसी बजाता दिख रहा है।
जिला चिकित्सालय में सर्जिकल वार्ड.. जहाँ घायल मरीज और ऑपरेशन के बाद आने वाले मरीज भर्त्ती होते हैं, बर्न वार्ड.. जहाँ आग से झुलसे मरीज भर्ती होते हैं। ऐसे में बैक्टीरिया मरता नहीं है, आँख के ऑपरेशन के बाद मरीजों को भर्त्ती किया जाने वाला आई वार्ड। आईसीयू.. जहाँ मरीजों को काफी सावधानी पूर्वक रखा जाता है के साथ ही साथ ड्रैसिंग रूम.. जहाँ दुर्घटना की स्थिति में लोगों के जख्म साफ कर ड्रैसिंग की जाती है, में संक्रमण का खतरा सबसे अधिक रहता है।
जिला चिकित्सालय में सफाई और सुरक्षा के लिये हर माह लाखों रुपये खर्च किये जाने के बाद भी यदि अस्पताल में संक्रमण बरकरार है तो इसे क्या माना जायेगा? या तो सफाई का काम ईमानदारी और सरकारी नियम कायदों के हिसाब से नहीं किया जा रहा है या फिर . . .!
लोगों का कहना है कि जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, रेजीडेंट मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ), अस्पताल की सफाई आदि कामों के निरीक्षण के लिये एक पृथक से सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी, स्टूवर्ड आदि का लंबा चौड़ा अमला और उसके बाद सफाई के काम को आऊट सोर्स करने के बाद भी अगर इस तरह के हालात हैं तो बेहतर होगा कि सफाई के काम को पुराने तरीके से ही संपादित किया जाये।
कुल मिलाकर इस मामले में किसी को भी इस बात की चिंता नहीं दिख रही है कि अस्पताल में फैल रहे संक्रमण का मरीजों और उनके परिजनों पर क्या असर पड़ रहा है। लगता है सभी यह मानकर चल रहे हैं कि ऑल इज वेल!