किसी फिल्म शृंखला में ‘एवेंजर्स’ जैसी फिल्म का थॉर जैसा सबसे चहेता किरदार निभा चुका हीरो क्रिस हेम्सवर्थ हो, टेसा थॉम्पसन जैसी ताजगी से भरी अदाकारा हो, बॉलीवुड की ‘गलीबॉय’ और ‘दंगल’ जैसी सफल फिल्मों के एक्टर्स सिद्धांत चतुर्वेदी और सान्या मल्होत्रा की आवाजें हों और साथ ही जबर्दस्त विजुअल इफेक्ट हों। इतने के बाद भी उसे देखकर लगे कि मजा कुछ अधूरा सा है! तो दिमाग घनचक्कर हो जाएगा न! कुछ ऐसा ही महसूस होता है ‘मेन इन ब्लैक’ शृंखला की ताजातरीन फिल्म ‘मेन इन ब्लैक: इंटरनेशनल’ देखते हुए।
साल 1997 में आई ‘मेन इन ब्लैक’ शृंखला की पहली फिल्म दुनिया भर में एक बड़े तबके को अपना प्रशंसक बनाने में कामयाब रही थी। इसमें काला सूट पहनने वाले कुछ खूफिया एजेंट थे, हथियारजड़ित कारें थीं, एजेंट जे बने विल स्मिथ जैसे एक्टर की मासूमियत और सहजता थी, एजेंट के बने जेम्स डैरेल एडवड्र्स का सख्त, अनुशासित चेहरा था और साथ ही थे कुछ एलियन। मनोरंजन की सधी हुई खुराक का यह सिलसिला इस शृंखला की दूसरी और तीसरी फिल्मों ने भी कायम रखा। पर इस शृंखला की चौथी फिल्म ‘मेन इन ब्लैक इंटरनेशनल’ में वो बात नजर नहीं आती। कई चमकते चेहरे और अत्याधुनिक इफेक्ट मिलकर भी वो असर पैदा नहीं कर पाते। इसमें न पिछले एजेंट्स के आपसी रिश्तों की गर्माहट है, न रणनीति आधारित एक्शन है और न ही तमाम पहलुओं को समेट सकने वाली दमदार कहानी है। है तो सिर्फ आपसी चुहलबाजी से उपजा हास्य और क्रिस हेम्सवर्थ के व्यक्तित्व का आकर्षण।
फिल्म ‘मेन इन ब्लैक इंटरनेशनल’ में हम मिलते हैं दो नए एजेंट्स एजेंट एच (क्रिस हेम्सवर्थ) और एजेंट एम (टेसा थॉम्पसन) से। एजेंट एच को वैसे तो एमआईबी संस्था का सबसे काबिल एजेंट माना जाता है, पर वह कुछ सरफिरा सा है। लड़कियां उस पर मरती हैं। वहीं एजेंट एम की एमआईबी में बतौर ट्रेनी भर्ती हुई है। एजेंट हाई टी (लायम नीसन) एमआईबी के सबसे बड़े अधिकारी हैं और उन्हें लगता है कि एजेंट एच उनका उत्तराधिकारी बन सकता है। एक दिन एजेंट एच और एजेंट एम एक क्लब में अपने एक एलियन दोस्त से मिलने जाते हैं। वहां उस दोस्त पर हमला होता है और वह दोस्त एजेंट एम को एक चमकता हुआ पत्थर देकर दम तोड़ देता है। दम तोड़ने से पहले वह सिर्फ इतना कहता है कि,‘सिर्फ यही चीज धरती को बचा सकती है।’ इस बीच यह अटकलें भी लगती हैं कि एमआईबी में कोई गद्दार है जो दुश्मनों को जरूरी सूचनाएं दे रहा है। कौन है वो गद्दार? क्या धरती पर कोई हमला होने वाला है? इन सभी सवालों का जवाब देती है फिल्म ‘एमआईबी इंटरनेशनल’।
हॉलीवुड फिल्मों की हिंदी डबिंग में मशहूर एक्टर्स के आने से एक और ट्रेंड चल पड़ा है। उन एक्टर्स की अपनी सफल फिल्मों के संवादों को हॉलीवुड फिल्म में शामिल करने का। अब इसी फिल्म को ले लीजिये। ‘मैं हूं एम सी शेर’, ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के?’ ‘तुम हमेशा गली की बात क्यों करते रहते हो? चलो ठीक है अखाड़े की बात करता हूं’ जैसे इसके तमाम संवाद हमें एम सी शेर (फिल्म गली बॉय में सिद्धांत चतुर्वेदी का किरदार) और बबिता (फिल्म दंगल में सान्या मल्होत्रा का किरदार) की याद दिलाते हैं। हालांकि यह तरकीब अच्छी है क्योंकि इसके चलते हिंदीभाषी दर्शक हॉलीवुड फिल्म से जुड़ाव महसूस करते हैं। फिल्म मनोरंजन तो करती है, पर इसके एजेंट्स के कारनामों में साफ तौर पर कुशल रणनीति का अभाव नजर आता है। एक्टिंग की बात करें तो सबसे ज्यादा प्रभावित क्रिस हेम्सवर्थ ही करते हैं। टेसा थॉम्पसन ने भी ठीकठाक काम किया है। कहानी हमें कुछ नया बताने में सफल नहीं होती। एक घंटे 55 मिनट की इसकी लंबाई भी कुछ ज्यादा मालूम होती है।
(साई फीचर्स)

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