महाकुंभ की सुरक्षा में भारत-नेपाल सीमा पर हाई अलर्ट

(ब्यूरो कार्यालय)

लखनऊ (साई)। प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे ऐतिहासिक महाकुंभ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद कर दिया गया है। इस महाकुंभ का विशेष महत्व है क्योंकि यह 144 साल बाद आयोजित हो रहा है। लाखों श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है, जिसके मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियां कोई भी चूक नहीं छोड़ना चाहती हैं।

भारत-नेपाल सीमा पर कड़ी निगरानी

महाकुंभ की सुरक्षा को देखते हुए भारत-नेपाल सीमा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। महराजगंज जनपद की 84 किलोमीटर लंबी खुली सीमा को संवेदनशील मानते हुए एसएसबी और पुलिस के जवान दिन-रात तैनात हैं।

दिन-रात पेट्रोलिंग: जवान दिन में सीमा पर आने-जाने वाले लोगों की सघन जांच करते हैं, जबकि रात में पगडंडियों पर गश्त करते हैं।

कड़ी निगरानी: भीषण ठंड के बावजूद जवान पूरी मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।

कोई छूट नहीं: जवानों का कहना है कि वे 24 घंटे निगरानी बनाए हुए हैं ताकि कोई भी सीमा का दुरुपयोग न कर सके।

प्रयागराज में व्यापक सुरक्षा इंतज़ाम

डीजीपी की निगरानी: डीजीपी प्रशांत कुमार स्वयं महाकुंभ की सुरक्षा की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

अन्य एजेंसियों का सहयोग: पुलिस के साथ ही अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी सुरक्षा व्यवस्था में जुटी हुई हैं।

भीड़ नियंत्रण: बढ़ती भीड़ को देखते हुए भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष इंतज़ाम किए गए हैं।

क्यों है इतनी महत्वपूर्ण सीमा सुरक्षा?

अंतरराष्ट्रीय सीमा: भारत-नेपाल सीमा अंतरराष्ट्रीय सीमा है, इसलिए यहां से किसी भी तरह की सुरक्षा चुनौती पैदा हो सकती है।

महाकुंभ का महत्व: महाकुंभ एक विशाल धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों लोग शामिल होते हैं। किसी भी अप्रिय घटना से बड़ी संख्या में लोगों को नुकसान हो सकता है।

देश की सुरक्षा: सीमा सुरक्षा देश की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

महाकुंभ की सुरक्षा के लिए किए जा रहे ये प्रयास दर्शाते हैं कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस आयोजन को शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत-नेपाल सीमा पर की जा रही कड़ी निगरानी से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी अवांछित तत्व इस आयोजन को बाधित न कर सके।

SHARAD KHARE

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