देश में बाल श्रम विरोधी कानून के बावजूद कूमिला जिले में चौड्डाग्राम उपजिला के काफी सारे ईंट भट्ठा मालिक इस खतरनाक काम में बच्चों से मजदूरी करा रहे हैं। हमारे खोजी पत्रकारों ने कूमिला जिले के लगभग 350 ईंट भट्ठों पर बच्चों को मजदूरी करते पाया। सच तो यह है कि पूरे बांग्लादेश के ईंट भट्ठों पर बाल मजदूरी जारी है।
यह काम काफी खतरनाक है और इससे जुड़े हादसों की खबरें अक्सर पढ़ने-सुनने को मिलती हैं, क्योंकि ईंट-भट्ठा उद्योग में मजदूरों की सुरक्षा को लेकर कोई मुकम्मल उपाय नहीं है। 25 जनवरी को हमने खबर छापी थी कि किस तरह कोयले से लदा ट्रक कूमिला जिले में ही एक भट्ठे में पलट गया था, जिसमें 13 मजदूर मारे गए थे। इनमें से नौ मजदूर निफामारी के स्कूली बच्चे थे। इनके जैसे बच्चे दरअसल ईंट भट्ठों में पार्ट टाइम मजदूरी करते हैैं, ताकि वे अपने परिवार की कुछ माली मदद कर सकें और स्कूल की अपनी फीस चुका सकें।
हालांकि अधिकारियों ने हमें यह भरोसा दिलाया है कि ईंट भट्ठों की निगरानी के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि बच्चों से इनमें काम न लिया जा सके, लेकिन यहां हमें उन परिवारों के सामाजिक-आर्थिक हालात पर भी गौर करने की जरूरत है, जो अपनी संतानों को इस काम के लिए भेजते हैं। जाहिर है, वे गुरबत की जिंदगी जी रहे परिवार हैं। दरअसल, यह गरीबी ही है, जो इन परिवारों को मजबूर करती है कि वे अपने बच्चों को काम तलाशने के लिए बाहर भेजें। कहा गया है कि बाल श्रम से संबंधित कानून को लागू कराने की जिम्मेदारी स्थानीय अधिकारियों की है। ईंट भट्ठा मालिकों में जागरूकता बढ़ाने की कवायद तो सिक्के का एक पहलू है। स्थानीय अधिकारियों को कानून का उल्लंघन करने वाले भट्ठा मालिकों से भारी जुर्माना वसूलना चाहिए। इसी तरह, यह भी अधिकारियों का ही दायित्व है कि वे उन परिवारों की आमदनी बढ़ाने के लिए पहल करें, जो गरीबी के कारण अपने बच्चों को इतने जोखिम भरे काम में धकेलने को मजबूर हो जाते हैं। (द डेली स्टार, बांग्लादेश से साभार)
(साई फीचर्स)