राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अक्सर दावा करते हैं कि उन्होंने किसी भी दूसरे राष्ट्रपति से ज्यादा किया है। पिछले महीने उन्होंने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से यहां तक कह दिया था कि कोई करीब भी नहीं है। और इस पर कोई सवाल नहीं कि वह एक अति व्यस्त व्यक्ति हैं। पिछले ही सप्ताह ट्रंप ने कांग्रेस के दो मुस्लिम सदस्यों का इजरायल दौरा रोकने के लिए पैरवी की। ब्याज दरों को पर्याप्त रूप से कम न करने पर स्वयं द्वारा चयनित फेडरल रिजर्व के चेयरमैन का विरोध किया। अमेरिका द्वारा ग्रीनलैंड खरीदने का विचार पेश कर दिया। चीन से क्रिसमस संबंधी सस्ते खिलौनों के आयात शुल्क तय करने में देरी हो रही है।
ऐसा बहुत कुछ है, जो ट्रंप ने पिछले सप्ताह या अपने कार्यकाल के ढाई वर्ष के किसी सप्ताह में नहीं किया है। उन्होंने घाटा कम करने और राष्ट्रीय ऋण चुका देने का अपना चुनावी वादा नहीं निभाया है। संघीय सरकार के खर्च और आय के बीच इस वर्ष एक ट्रिलियन डॉलर का अंतर होने का अनुमान है। अमेरिकी कर्ज बढ़कर रिकॉर्ड 22 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। वह देश के ढहते बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण करने में विफल रहे हैं। पावर ग्रिड, राजमार्गों, पुलों, जल प्रणालियों और ब्रॉडबैंड में सख्त मरम्मत और सुधार के विधायी प्रस्तावों को उन्होंने दरकिनार कर रखा है। कथित इन्फ्रास्ट्रक्चर वीक तो व्हाइट हाउस के लिए एक मजाक बन गया।
बड़े पैमाने पर गोलीबारी की समस्या के बावजूद उन्होंने एक भी बंदूक नियंत्रण कानून का समर्थन नहीं किया है। वह कड़े नियंत्रण के पक्षधर 90 प्रतिशत अमेरिकियों की बजाय गन लॉबी के पक्ष में दिखते हैं। जब पिछला महीना दर्ज इतिहास में सबसे गरम था, तब जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर भी डोनाल्ड ट्रंप कहीं नजर नहीं आते। वह अमेरिका और दुनिया के सामने मौजूद ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को नजरंदाज कर रहे हैं। उन्होंने अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकालना शुरू कर दिया है। उन्होंने 1973 के लोकप्रिय लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम को कमजोर कर दिया है और खुदाई के लिए आर्कटिक जंगल खोलने की मांग रख दी है। (यूएसए टुडे, अमेरिका से साभार)
(साई फीचर्स)