शराब ठेकेदारों ने बनाया सिंडीकेट, खुले आहते में तब्दील हुआ सिवनी शहर!

आबकारी विभाग और पुलिस का नहीं है मयजदों पर ध्यान, खेल के मैदान, खाली प्लाट्स में लग रही मयजदों की भीड़! शाम ढलते ही धुंए के छल्ले और सोडे की डकारें लगती हैं गूंजने . . .

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। पौ फटते ही लोग सेहत बनाने के लिए घूमने जाते हैं। सुबह घूमने जाने वाले अगर किसी मैदान में जाते हैं तो वहां उन्हें शराब की खाली बोतलों, बिड़ी, सिगरेट के डुट्ठों, नमकीन के खाली पैकेट और डिसपोजेबल गिलास के कचरे से दो चार होना पड़ता है। इसके अलावा सड़कों के किनारे भी शराब की खाली बोतलें दिखाई दे जाती हैं। दरअसल, सिवनी में आबकारी विभाग और पुलिस के द्वारा सड़कों पर आतंक बरपाते मयजदों के खिलाफ रस्म अदायगी की कार्यवाही किए जाने के आरोप लग रहे हैं।

आबकारी विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सिवनी में शराब ठेकेदारों के द्वारा आपस में मिलकर सिंडीकेट बना लिया गया है। सिंडीकेट बनाए जाने से अब अवैध शराब बिकने के मार्ग प्रशस्त होते दिख रहे हैं। सूत्रों का कहना था कि इसके पहले जब सिंडीकेट नहीं बना था तब शराब ठेकेदारों के गुर्गे एक दूसरे की दुकान पर नजर रखा करते थे और अगर शराब दुकान से अगर ज्यादा तादाद में शराब अगर उठाकर कहीं ले जाई जाती थी तो दूसरी शराब दुकान के कारिंदे उस दुकान पर नजर रखते हुए इसकी जानकारी तत्काल ही पुलिस या आबकारी विभाग को देकर शराब पकड़वा दिया करते थे।

सूत्रों ने बताया कि जब से शराब ठेकेदारों का सिंडीकेट बना है उसके बाद से अवैध शराब पकड़े जाने की खबरें नहीं के बराबर ही हैं। अब आबकारी विभाग का नजला कच्ची शराब बनाने वालों पर ही टूटता नजर आता है। इसके साथ ही विशेष ब्रांड की चीपर (कम कीमत वाली शराब) की खपत भी सिवनी में तेजी से बढ़ी है। शराब दुकानों का निरीक्षण भी आबकारी महकमे के द्वारा महज रस्म अदायगी के लिए ही किया जाता है।

शहर में रेल्वे स्टेशन के आसपास, बैनगंगा के लखनवाड़ा तट के करीब, फोरलेन के नए बायपास, पुराने बायपास, लूघरवाड़ा से बींझावाड़ा, बबरिया होते हुए एसपी बंगले वाली सड़क, डिग्री कॉलेज, पालीटेक्निक कॉलेज का खेल का मैदान, ज्यारत नाका से डालडा फेक्ट्री होते हुए बबरिया मार्ग आदि न जाने कितने ऐसे स्थान हैं, जिन स्थानों पर शाम ढलते ही मयजदों की महफिलें सजने लगती हैं। यहां तक कि पुलिस कंट्रोल रूम के ठीक सामने सर्किट हाऊस की दीवार से लगे नगर पालिका के उजाड़ हो चुके बगीचे जिसमें लोगों के बैठने के लिए बैंच लगाई गई हैं, वहां भी देर रात तक जाम छलकते नजर आते हैं।

अनेक नागरिकों ने बताया कि शहर के अंदर स्थित पालीटेक्निक कॉलेज के खेल के मैदान में सुरक्षा गार्ड के रहते हुए भी रात गहराते ही यहां मयजदों की भीड़ लगने लगती है। यह आलम तब है जबकि पालीटेक्निक कॉलेज में लोकसभा चुनावों के लिए ईवीएम मशीन चुनाव पूर्व रखी गईं थीं और चुनाव के उपरांत भी वहां रखी हुई हैं। सुबह सवेरे टीन टप्पर बीनने वाले अपने कांधों पर बारियां लेकर पालीटेक्निक कॉलेज से खराब की खाली बोतलें, बीयर के केन बटोरते नजर आ सकते हैं। बताते हैं कि यहां रोजाना इतनी तादाद में बोतलें निकलती हैं कि टीन टप्पर बीनने वालों को दो तीन फेरे लगाने पड़ते हैं।

आबकारी विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि शहर में एक ऐसा भी स्थान है जहां की सदस्यता लेने पर आपको वहां बैठकर मदिरा पान करने में कोई परेशानी का अनुभव शायद ही कभी हो पाए। यह स्थान जिलाधिकारी कार्यालय के करीब ही बताया जाता है। मजे की बात तो यह है कि इस स्थान में शराब परोसने या शराब पीने के लिए राज्य शासन की ओर से कोई वैध लाईसेंस नहीं लिया गया है।

यहां यह उल्लेखनीय होगा कि पूर्व में तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक एवं रामजी श्रीवास्तव के कार्यकाल में कैमरे से सुसज्जित पुलिस के दोनों वाहन शाम ढलते ही लगातार ही सूनी सड़कों, खाली प्लाट्स, खेल के मैदानों आदि में चक्कर लगाया करते थे और खुले में मदिरापान कर रहे मयजदों की मश्कें भी कसा करते थे।

सिवनी में जनप्रतिनिधियों की कथित उदासीनता के चलते सिवनी में मयजदों की पूरी तरह से मौज ही मानी जा सकती है। शाम ढलते ही महिलाओं, युवतियों पर ये मजयदे गंदी गंदी फब्तियां कसते भी देखे जा सकते हैं। संवेदनशील जिलाधिकारी क्षितिज सिंघल और जिला पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह से जनापेक्षा है कि शहर में अवैध रूप से चल रहे आहतों और सड़कों तथा मैदानों को अघोषित आहता बनाने के संबंध में अधीनस्थ अमले को निर्देशित करें ताकि शहर में राह चलते मयजदों पर लगाम लगाई जा सके।