नगर पालिका प्रशासन से इस स्तंभ के माध्यम से मैं अपील करना चाहता हूँ कि उसके द्वारा सार्वजनिक नलों की व्यवस्था की ओर गंभीरता पूर्वक ध्यान दिया जाये।
दरअसल भीषण गर्मी का दौर आरंभ होने को है और ऐसे में जिस चीज की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है वह है पेयजल और दुर्भाग्य से सिवनी में पेयजल को लेकर कृत्रिम समस्या उत्पन्न की जाती रही है। यहाँ यदि बात की जाये सार्वजनिक नलों की तो कई ऐसे क्षेत्रों में सार्वजनिक नल ही नहीं हैं जहाँ इनका होना अत्यंत आवश्यक है।
सिवनी के शुक्रवारी क्षेत्र का उदाहरण ही इसके लिये पर्याप्त माना जा सकता है। कहने को यहाँ स्थित गाँधी चौक नगर का हृदय स्थल भी कहा जाता है। इस स्थान पर रोजाना ही ऐसे श्रमिक एकत्र होते हैं जो मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से अधिकांश श्रमिक इस क्षेत्र में रोजाना सुबह जुटते हैं। इनमें से कई श्रमिक ऐसे हैं जो इतने सक्षम भी नहीं होते हैं कि वे अपने साथ घर से ही पेयजल लेकर आयें।
इन मजदूरों के साथ सबसे बड़ी समस्या यही होती है कि इन्हें शुद्ध पेयजल सहज रूप से उपलब्ध नहीं हो पाता है। इसके लिये उन्हें इस क्षेत्र में स्थित होटलों का सहारा लेना पड़ता है। असली दिक्कत तब खड़ी होती है जब गर्मियों में जल संकट उत्पन्न हो जाता है और कई होटल वाले भी इन मजदूरों को पानी देने से इंकार कर देते हैं और इसके पीछे वे होटल वाले अपनी मजबूरी भी बताते हैं।
कारण यही है कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सार्वजनिक नल ही नहीं है जहाँ से मजदूर अपनी प्यास बुझा सकें या होटल वाले उस नल से पानी भरकर उसका संग्रह कर सकें। नगर पालिका के द्वारा इस क्षेत्र में अब तक सार्वजनिक नल की व्यवस्था न किया जाना आश्चर्यजनक ही माना जायेगा।
वहीं कई क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ सार्वजनिक नल तो हैं लेकिन उन नलों से टोंटिया ही गायब हैं जिसके कारण इन नलों से पानी बहता रहता है। सिवनी के कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ सार्वजनिक नल से चौबीसों घण्टे ही पानी बहता रहता है। यह भी आश्चर्य की बात है कि एक क्षेत्र में चौबीसों घण्टे पानी व्यर्थ बह रहा है तो इसी शहर के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ दो-दो या तीन-तीन दिन बारिश के मौसम में भी पेयजल प्रदाय नहीं किया जाता है।
वर्षों से यही सब देखने में आ रहा है लेकिन जल वितरण प्रणाली का मूल्यांकन नहीं किये जाने के कारण उसमें सुधार परिलक्षित नहीं हो सका है। नगर पालिका की लापरवाही के आगे अब शहर की जनता नाउम्मीद हो चुकी है। ऐसे में जिला प्रशासन से ही अपेक्षा की जा सकती है कि उसके द्वारा नगर पालिका के तंत्र को दुरूस्त करने की दिशा में कदम उठाये जायें ताकि इस शहर में व्यवस्थाएं पटरी पर आ सकें।
अनवर खान
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