(शरद खरे)
शहर में बस स्टैण्ड, छिंदवाड़ा चौराहे, डूण्डा सिवनी के बाद अब सर्किट हाउस एवं बाहुबली चौराहे पर उच्च मस्तूल प्रकाश (हाई मास्ट लाईट) की संस्थापना करवायी जा रही है। इसकी संस्थापना का स्वागत किया जाना चाहिये। रात के अंधेरे में स्ट्रीट लाईट कई स्थानों पर पर्याप्त प्रकाश नहीं दे पाती हैं, जिनके चलते दुर्घटनाओं की संभावनाएं ज्यादा बनी रहती हैं।
सामान्यतः इन लाईट्स को 30 मीटर (लगभग 98 फीट) की ऊँचाई पर लगाया जाता है। शक्तिशाली लाईट्स की रोशनी काफी दूर तक प्रभावी होती है। इन्हें जिन स्थानों पर लगाया जाना प्रस्तावित है वहाँ सामान्यतः दुर्घटनाएं ज्यादा घटित होती हैं। इनके लगने के बाद यहाँ दुर्घटनाओं की तादाद में कमी दर्ज की जा सकती है।
नब्बे के दशक में सिवनी में लोक निर्माण विभाग में राष्ट्रीय राजमार्ग में पदस्थ रहे सहायक यंत्री आर.के. सावला जब भोपाल में पदस्थ थे तब उन्होंने बोर्ड ऑफिस चौराहे से हबीबगंज नाका (गणेश मंदिर) तक के हिस्से में लगातार हो रहीं दुर्घटनाओं पर गहन अध्ययन किया और यह निष्कर्ष निकाला था कि दुर्घटनाओं की वजह सड़कों पर कम प्रकाश ही था। उस दौरान स्ट्रीट लाईट में ट्यूब लाईट की बजाय सोडियम लाईट लगाये जाने का प्रस्ताव उनके द्वारा विभाग को दिया गया। इसके बाद इस सड़क पर शक्तिशाली सोडियम लाईट लगायी गयीं और यहाँ दुर्घटनाओं में कमी दर्ज की गयी थी।
सिवनी में मॉडल रोड पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं घटित होती हैं। इसका कारण यह है कि इस सड़क पर प्रकाश की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा इस सड़क पर संस्थापित किये गये चार यातायात सिग्नल्स भी पूरी तरह काम नहीं करते हैं। इन यातायात सिग्नल्स पर जेब्रा क्रॉसिंग भी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा नहीं बनायी गयी हैं।
बस स्टैण्ड, छिंदवाड़ा चौक, गाँधी भवन, सर्किट हाऊस चौराहा, बाहुबली चौराहा जैसी जगहों पर उच्च मस्तूल प्रकाश व्यवस्था की दरकार लंबे समय से महसूस की जा रही थी। इन स्थानों पर पुलिस के द्वारा लगाये गये कैमरों में अगर किसी वाहन या व्यक्ति की पहचान करने का प्रयास रात के समय के सीसीटीवी फुटेज में किया जाता है तो तस्वीरें बहुत ज्यादा स्पष्ट नहीं होती हैं। उम्मीद की जा सकती है कि हाई मास्ट लाईट लगने के बाद यहाँ रात के समय भी तस्वीरें साफ दिखायी दे पायेंगी।
इसके साथ ही साथ सड़कों पर लगे स्ट्रीट लाईट पोल्स के आसपास के वृक्षों की डालियों की छटाई भी करीने से करवायी जाये ताकि स्ट्रीट लाईट का प्रकाश सड़कों पर पर्याप्त मात्रा में पड़ सके। इनकी संस्थापना चूँकि नगर पालिका परिषद के द्वारा करायी जा रही है इसलिये यह देखना भी जरूरी होगा कि इनकी गुणवत्ता किस तरह की है। इनके लिये खड़े किये जाने वाले पोल के लिये आधार (बेस) कितना मजबूत बन रहा है! यह इसलिये क्योंकि नगर पालिका के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता देखकर उस पर संदेह करना बेमानी नहीं होगा।
इस काम के लिये संवेदनशील जिलाधिकारी प्रवीण सिंह साधुवाद के पात्र हैं। उनके द्वारा अस्पताल में कायाकल्प के साथ ही साथ नगर पालिका पर नज़रें इनायत की हैं। उम्मीद की जानी चाहिये कि कुछ समय में नगर पालिका की बेढंगी चाल भी पटरी पर आ जायेगी।
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