कहाँ दबा दिया ग्वालियर हाई कोर्ट का आदेश!

 

 

आठ से दस गुना ज्यादा कीमत पर बिक रहीं निजि पब्लिशर्स की किताबें

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। एक ओर निजि शैक्षणिक संस्थानों में गणवेश, मोटी फीस एवं महंगी कॉपी – किताबों के बोझ तले पालक कराह रहे हैं वहीं, पिछले साल ग्वालियर हाई कोर्ट के द्वारा दी गयी व्यवस्था को भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों के द्वारा कागजों के अंबार में दबा दिया गया है। इस मसले पर सांसद – विधायकों का मौन भी आश्चर्य को ही जन्म देता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 2015 में ग्वालियर हाई कोर्ट ने ऑर्डर जारी किया था कि कोई भी स्कूल, अभिभावकों को विवश नहीं कर सकता कि वह किसी एक दुकान से किताब खरीदे। अभिभावकों को स्कूल बैग और बॉटल्स आदि लेने पर मजबूर नहीं किया जा सकता है, लेकिन शहर के बेलगाम प्राईवेट स्कूलों के कमीशन के खेल से परेशान हो रहे अभिभावकों को अब किसी तारणहार की ही दरकार दिख रही है।

बताया जाता है कि नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की एक किताब की कीमत 45 से 50 रूपये है, जबकि सीबीएसई के निजि स्कूलों में चलायी जा रहीं एक किताब की कीमत 200 से लेकर 400 रूपये तक है। निजि स्कूलों की किताबें महंगी होने पर एक दुकानदार ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि यह उनकी मजबूरी है क्योंकि उन्हें शाला संचालक को कमीशन देना पड़ता है।

उक्त दुकानदार का कहना था कि यही कारण है कि किताबों के दाम, प्रकाशकों से मिलकर बढ़वाकर प्रिंट करवाना पड़ता है। उधर शिक्षकों का कहना था कि एनसीईआरटी की किताबों का जो स्तर रहता है वह प्राईवेट किताबों का नहीं रहता। मामला चाहे जो भी हो पर इसके चलते पालक लुटने पर मजबूर हैं।

मौन हैं प्रतिनिधि

सालों से निजि शैक्षणिक संस्थाओं के द्वारा मोटी फीस और महंगे गणवेश तथा पाठ्यक्रम की किताबों से अभिभावक हैरान – परेशान हैं। एक पालक का कहना था कि आज के समय में तो हर कोई दो ही बातों के लिये कमा रहा है पहला तो बच्चों की फीस, कॉपी – किताब और गणवेश के लिये दूसरा डॉक्टर और दवाओं को देने के लिये। उन्होंने कहा कि इससे अगर कुछ बचा तो खाने की सोचा जाये। उधर, इस मामले में जिले के दोनों सांसद और चारों विधायकों का मौन भी आश्चर्य जनक ही माना जायेगा।