भाजपा का दबदबा रहा है पिछले लोकसभा चुनावों में
(लिमटी खरे)
सिवनी (साई)। परिसीमन के बाद बालाघाट संसदीय क्षेत्र का नजारा बदल गया है। परिसीमन के बाद हुए दो चुनावों में सिवनी और बरघाट विधान सभा क्षेत्रों में भाजपा का दबदबा रहा है, और इन्हीं दोनों क्षेत्रों से भाजपा की विजय सुनिश्चित हो पायी थी।
आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाये तो 2009 के लोक सभा चुनावों में बालाघाट संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सिवनी विधान सभा क्षेत्र से भाजपा को 40 हजार 963 तो काँग्रेस को 27 हजार 917 मत मिले थे। यहाँ 2014 में भाजपा को 91 हजार 674 तो काँग्रेस को 38 हजार 187 मत मिले थे।
जिले के बरघाट विधान सभा क्षेत्र में 2009 में भाजपा को 49 हजार 306 तो काँग्रेस को 41 हजार 157 मत मिले थे। इसके बाद 2014 में हुए लोक सभा चुनावों में भाजपा को 78 हजार 595 तो काँग्रेस के खाते में 56 हजार 591 मत आये थे। सिवनी जिले की दो विधान सभाओं में 2009 में भाजपा को 90 हजार 269 मत तो काँग्रेस को इन दो विधान सभाओं में 69 हजार 74 मत मिले थे। इन चुनावों में जीत का अंतर (सिवनी और बरघाट विधान सभाओं में) 21 हजार 195 मतों का था।
इसके बाद 2014 में हुए चुनावों में जिले की इन दोनों विधान सभाओं में भाजपा को सिवनी जिले की इन दोनों विधान सभाओं में कुल 01 लाख सत्तर हजार 269 वोट मिले थे, जबकि सिवनी और बरघाट से काँग्रेस को 94 हजार 782 मत प्राप्त हुए थे। 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा और काँग्रेस के बीच सिवनी और बरघाट विधान सभाओं में जीत का अंतर 77 हजार 487 मतों का था।
परिसीमन के बाद बालाघाट लोकसभा चुनावों में हार जीत का अंतर 40 हजार 819 का था, जिसमें सिवनी जिले के 21 हजार 195 मतों का योगदान भाजपा के साथ रहा था। इसी तरह 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने काँग्रेस को 96 हजार 41 मतों से पछाड़ा था, इसमें भी सिवनी के 77 हजार 487 मतों का योगदान माना जा सकता है।
परिसीमन के उपरांत हुए दो लोकसभा चुनावों में बालाघाट संसदीय क्षेत्र में मिले मतों के आंकड़ों से यही बात उभरकर सामने आती है कि बालाघाट संसदीय क्षेत्र में जीत हार में सिवनी जिले की बरघाट और सिवनी विधान सभाओं की महती भूमिका रहती आयी है।
2009 के लोकसभा चुनावों के पहले हुए विधान सभा चुनावों में सिवनी और बरघाट विधान सभा में भाजपा का परचम लहराया था, तो 2014 के लोक सभा चुनावों के पहले हुए विधान सभा चुनावों में बरघाट में तो भाजपा के प्रत्याशी बहुत ही कम वोटों से विजयी हुए थे, वहीं सिवनी विधान सभा में निर्दलीय ने भाजपा के प्रत्याशी को पटकनी दे दी थी।
पिछले साल दिसंबर में हुए विधान सभा चुनावों में बरघाट विधान सभा में काँग्रेस ने विजय पताका फहरायी तो सिवनी विधान सभा में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने अपना वर्चस्व बना लिया। आने वाले समय में इन दोनों विधान सभाओं से किसे ज्यादा मत मिलते हैं यह बात भविष्य के गर्भ में ही है।
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