सिवनी के आसपास स्थित टोलनाकों पर कार्यरत कर्मचारियों से मुझे शिकायत है। इसमें भी सबसे ज्यादा फुलारा टोल नाके पर कार्यरत कर्मचारियों का व्यवहार आपत्तिजनक है जिनके द्वारा निहायत ही गुण्डागर्दी वाला रवैया अख्तियार किया जाकर क्षेत्र में दहशत फैलाने की कोशिश की जा रही है।
सिवनी जिला मुख्यालय से छिंदवाड़ा रोड पर चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित फुलारा टोल नाके पर व्याप्त अराजकता के संबंध में जब-तब मीडिया से भी जानकारी मिलती रहती है लेकिन उसके बाद भी संबंधितों के द्वारा यहाँ व्यवस्थाएं सुधारने की दिशा में कोई पहल न किये जाने के कारण फुलारा टोल नाका सदैव से ही चर्चा में बना हुआ है।
इस टोल नाके पर वाहनों से वसूले जाने वाले कर की सूची तो चस्पा की गयी है लेकिन इसके इतर अनाप-शनाप शुल्क टोल कर्मियों के द्वारा वसूला जा रहा है। निर्धारित से अधिक कर वसूलने के संबंध में जब वाहन चालकों के द्वारा आपत्ति व्यक्त की जाती है तब यहाँ तैनात गुण्डानुमा कर्मचारी वाहन चालकों से मारपीट करने पर उतारू हो जाते हैं और कई-कई बार यहाँ मारपीट की घटनाएं हो भी चुकी हैं जिसके कारण वाहन चालकों को इस टोल नाके के क्षेत्र से गुजरते समय एक अन्जाना सा भय उनके अंदर समाये रहता है।
वाहन चालक ही नहीं बल्कि फुलारा टोल नाके के आसपास स्थित ग्रामों के वाशिंदे भी इस टोल नाके के कर्मियों से खौफज़दा दिखायी देते हैं। ये टोल कर्मी अपने खाली समय में आसपास के गाँवों में जाकर वहाँ महिलाओं के साथ छेड़खानी करने से बाज नहीं आते हैं। इन टोल कर्मियों की हरकतें देखना है तो यहाँ से गुजरने वाले वाहनों में बैठी महिलाओं के साथ उनके बर्ताव को देखकर आसानी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है ये टोल कर्मी किस तरह से सारी सीमाएं लांघ रहे हैं।
फुलारा टोल नाका पर तैनात कर्मियों के अन्जान चेहरे लगातार बदलते हुए देखे जा सकते हैं। वर्दी आदि के अभाव में यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि वाहनों से पैसा, अधिकृत एजेंसी के द्वारा ही वसूला जा रहा है या टोल नाका की आड़ में अवैध वसूली के कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। यदि इस नाका पर अवैध वसूली के कार्य को अंजाम दिया जा रहा है तो निश्चित रूप से इसे किसी न किसी की शह प्राप्त होगी तभी इस नाके को खुली छूट प्रदाय कर दी गयी लगती है।
जिला प्रशासन से अपेक्षा ही की जा सकती है कि उसके द्वारा तत्काल फुलारा टोल नाका की कार्यप्रणाली पर लगाम लगायी जाये ताकि वाहन चालकों के साथ ही साथ ग्रामीणजन भी बिना खौफ के सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें।
अमित बोहारे
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