सिवनी में पदस्थ अधिकारियों में दूरगामी सोच का अभाव!

 

नगर पालिका के साथ ही साथ मुझे शिकायत जिला प्रशासन से भी है जिसके द्वारा चुनाव के दौरान पेयजल का कृत्रिम संकट बनाकर रख दिया गया।

सिवनी के कई क्षेत्रों में लगभग तीन दिनों से टंकी के माध्यम से पानी प्रदाय नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में नगर पालिका के द्वारा टैंकर भेजकर पेयजल की आपूर्ति करवाये जाने की राह लोग देखते ही रह गये लेकिन उन्हें टैंकर के माध्यम से पेयजल उपलब्ध नहीं हो सका।

नगर पालिका के अधिकारियों के द्वारा जब इस संबंध में बात की गयी तो उनके द्वारा यही कहा गया कि सभी टैंकर चुनाव की तैयारियों में लगवाये गये हैं जिसके कारण टैंकर के माध्यम से जल आपूर्ति नहीं की जा सकती है। आखिर यह कैसी व्यवस्था है प्रशासन की। जनता के लिये होने वाले लोकसभा चुनाव में आम जनता को ही परेशान करके रख दिया गया पेयजल के लिये!

यदि टैंकर्स का उपयोग चुनावों में किया जाना इतना ही जरूरी था तो क्या यह बेहतर नहीं होता कि प्रशासन के द्वारा आम जनता को पहले से ही आगाह करवा दिया जाता कि आपात स्थिति के लिये जल संग्रह करके रखें? इसे जिला प्रशासन की असफलता ही कहा जाना चाहिये जिसके द्वारा पहले से इस बिंदु पर ध्यान नहीं दिया गया कि जल आपूर्ति बाधित रहने की स्थिति में शहर की जनता को पानी कैसे उपलब्ध करवाया जायेगा। ऐसा भी हो सकता है कि जिला प्रशासन के द्वारा आम जनता को होने वाली परेशानी को ताक पर रख दिया गया था।

आश्चर्यजनक बात तो यह है कि नगर पालिका और जिला प्रशासन की मिली भगत के चलते टैंकर उपलब्ध न हो पाने की स्थिति के विरोध में जन प्रतिनिधियों के द्वारा कोई पहल नहीं की गयी। इस भीषण गर्मी में जबकि तापमान अपने चरम को छूने को आतुर दिख रहा है तब शहर की जनता पेयजल को तरसती रही और संबंधित क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध नहीं करवाया गया।

कुछ नागरिकों के द्वारा जब जैसे-तैसे पेयजल की व्यवस्था बना ली तब उन्हें पता चला कि नयी जल आवर्धन योजना के तहत ठेकेदार के द्वारा कुछ कार्य जो शेष रह गया था उसे पूर्ण किया जा रहा है इसलिये पेयजल की आपूर्ति बाधित हुई है। सवाल यह उठता है कि जब प्रशासन की जानकारी में यह बात थी कि टैंकर आदि चुनाव में व्यस्त हो जायेंगे तब की स्थिति में ठेकेदार को यदि पैंडिंग पड़े कार्य को निपटाने की अनुमति न दी जाती तो शायद पेयजल का इतना संकट ही नहीं उत्पन्न होता। ऐसे में सिवनी में पदस्थ अधिकारियों में दूरगामी सोच का अभाव साफ नजर आ रहा है।

जिला प्रशासन के द्वारा ही यदि इस तरह की कार्यप्रणाली को अपनाया जा रहा है तो उससे यह उम्मीद की जाना व्यर्थ ही होगा कि जिला प्रशासन, नगर पालिका के द्वारा समझते बूझते अपनायी जा रही गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली पर अंकुश लगायेगा। इस तरह की प्रशासनिक स्थिति को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि सिवनी में अंधेरा कायम हो चुका है और यहाँ के नागरिकों को अपनी नियति पर छोड़ दिया गया है।

कैलाश सराफ

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