नेताओं की प्राथमिकता में संगठन प्रथम, जनता नहीं!

 

मुझे शिकायत सिवनी के उन नेताओं से या जन प्रतिनिधियों से है जो अपने आप को पूरी तरह से संगठन की राजनीति में ही व्यस्त किये हुए हैं। राजनीति का मतलब जहाँ जनसेवा होना चाहिये वहाँ ऐसे नेताओं को, जनता को होने वाली परेशानियों से कोई सरोकार नजर नहीं आता है।

मजे की बात ये है कि संगठन की राजनीति करने से भी उन्हें कुछ विशेष हासिल नहीं होता क्योंकि ऐसा लगता है कि प्रदेश हाईकमान में उनकी सुनी ही नहीं जाती है। स्थानीय प्रशासन तो ऐसे नेताओं या जन प्रतिनिधियों को भाव ही नहीं देता है और ये बात हाल के घटनाक्रमों से आम जनता अच्छी तरह से समझ भी गयी है। ऐसे में किसी संगठन में कोई पद पा लेने के बाद बड़े-बड़े विज्ञापनों के माध्यम से ये नेता क्या साबित करना चाहते हैं ये वे ही जानें लेकिन यदि उन्हें जनता के बीच पैठ बनाना है तो जनता के लिये उन्हें जमीनी तौर पर काम भी करके दिखाना होगा, वरना उनकी सारी कसरत का कोई भाव आम जनता के बीच नहीं रहता है वे स्वयं में खुश होते हों तो ये अलग बात है।

सिवनी में एॅशिया का मिट्टी का सबसे बड़ा बाँध है उसके बाद भी जिला मुख्यालय में यदि वर्षों से पानी की किल्लत मची हुई है तो इसे क्या माना जायेगा। सिवनी में जब-तब टैंकरों के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति किये जाने के दृश्य आम हो चले हैं, ऐसे में क्या इन नेताओं में इतनी भी दूरदर्शिता नहीं है कि कोई ठोस योजना बनायी जाये जिसके सहारे सिवनी को पानी के मामले में समृद्ध हो जाये। कहने को जल आवर्धन योजनाओं के बारे में बहुत कुछ देखने-सुनने को मीडिया के जरिये मिल जाता है लेकिन इन योजनाओं का दीर्घगामी परिणाम शून्य ही निकलता है। शायद यही कारण भी है कि ऐसी योजनाओं को लेकर सिवनी वासियों में कोई उत्साह नजर नहीं आता है क्योंकि लोगों को मालूम है कि करोड़ो की योजना के पूरा होने के बाद भी जल आपूर्ति के लिये आखिर लिया तो टैंकर का ही सहारा जायेगा।

अभी तक तो यही साबित हुआ है कि योजना बनाने के मामले में सिवनी के नेता पैदल ही हैं। यहाँ के नेता नगर पालिका की कार्यप्रणाली को तक दुरूस्त नहीं कर पा रहे हैं.. अन्य क्षेत्र तो दूर की बात है। नगर पालिका के द्वारा जिन क्षेत्रों में पेयजल सप्लाई भी किया जा रहा है तो उसके कारण पेट की बीमारियों से ग्रसित लोगों की संख्या में इन दिनों तेजी से इजाफा देखा जा रहा है लेकिन यहाँ के नेता संगठन की ही राजनीति में व्यस्त हैं और पता नहीं क्यों वे वहाँ इतना व्यस्त हो गये हैं कि धरातल पर उतर ही नहीं पा रहे हैं। जिला प्रशासन नाम की कोई चीज सिवनी में दिखायी नहीं दे रही है लेकिन नेता संगठन में ही मस्त हैं।

नेताओं की प्राथमिकता में जनसेवा प्रथम स्थान पर होना चाहिये लेकिन सिवनी में नेताओं के लिये संगठन महत्व रखता दिखता है। निश्चित रूप से यहाँ के नेताओं की कार्यप्रणाली की फीडिंग ऊपर तक जाती होगी और फिर उसी के हिसाब से उनका कद भी तय किया जाता होगा। यही कारण भी माना जा सकता है कि ऐसे ही नेताओं के कारण सिवनी में वक्त-वक्त पर बाहर से नेता लाकर थोपे जाते रहे हैं। आम जनता यही अपेक्षा करती है कि सिवनी से ही कोई दमदार नेता निकले जो आम जनता की समस्याओं से वास्ता रखता हो।

विक्रम बेतवार विब्बी.

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