चिल्ल्हर लेने से मना कर रहे दुकानदार!

 

सिवनी के बाजार में इन दिनों चिल्ल्हर की बंपर आवक बनी हुई है। स्थिति यह है कि अधिकांश दुकानदारों के द्वारा एक या दो के सिक्के लेने से इंकार किया जा रहा है। वहीं बड़ी परेशानी के बाद में पाँच के सिक्के ही स्वीकार कर रहे हैं।

गौरतलब होगा कि एक समय था जब दुकानदार के द्वारा चिल्ल्हर की किल्लत का रोना रोकर 01 व 02 के सिक्के वापस करने की बजाय ग्राहक को चॉकलेट या माचिस थमा दी जाती थी। बस या टैक्सी में चिल्हर के लिये बस कंडक्टर और यात्री के बीच बहस होना आम बात थी।

हालात तो यहाँ तक हो गये थे कि 90 रुपये की चिल्ल्हर लेकर व्यापारी 100 रुपये दिया करते थे। चिल्ल्हर की किल्लत को दूर करने के लिये स्टेट बैंक में कॉइन वेंडिंग मशीन भी लगायी गयी थी परन्तु वही चिल्ल्हर आज आम जनता के लिये जी का जंजाल बन चुकी है। शहर में आजकल चिल्ल्हर की इतनी भरमार हो चुकी है कि अब थोक व्यापारियों से लेकर छोटे दुकानदार, सब्जी बेचने वाले, ठेले में फुटकर सामग्री बेचने वाले इत्यादि सभी चिल्ल्हर लेने से मना करने लगे हैं।

विगत 3-4 वर्षों में बाजार से अठन्नी गायब हो चुकी है और अब 01 व 02 के सिक्के भी अघोषित रूप से बंद होने की कगार पर दिख रहे हैं। दुकानदार सिर्फ 05 व 10 के सिक्के ही स्वीकार कर रहे हैं और वो भी पता नहीं कब तक ऐसा करेंगे। इससे सबसे ज्यादा परेशानी का सामना आम जनता खासकर उन कमजोर आर्थिक स्थिति वालों को करना पड़ रहा है जो इन सिक्कों से रोजमर्रा का सामान खरीदकर अपना काम चला लेते थे।

अब यदि किसी को 01 रुपये का शैम्पू, तेल या मंजन या कुछ और सामान खरीदना है तो दुकानदार उससे 05 या 10 का सिक्का और या फिर उसके स्थान पर नोट माँगते हैं। इसके बदले में ग्राहक को न चाहते हुए भी एक या दो पाउच की बजाय कम से कम 05 पाउच या 05 रुपये की सामग्री खरीदने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है।

इस स्थिति से दुकानदार का तो फायदा है क्योंकि वे ग्राहक को 01 रुपये की बजाय सीधे 05 रुपये का सामान खरीदने को मजबूर कर रहे हैं परन्तु ग्राहक खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। चिल्ल्हर की अधिकता अब बच्चों को भी परेशान करने लगी है। चॉकलेट, पीपरमेण्ट के लिये 1-2 रुपये लेकर खुश हो जाने वाले बच्चों को अब उससे महरूम होना पड़ रहा है। गुल्लक में जमा किये गये 01 व 02 के सिक्के, इस स्थिति के चलते अब उनके किसी काम के नहीं रह गये हैं।

भिखारी भी परेशान हैं। मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारों के सामने भीख माँगने वालों में से किसी एक को ही 05 या 10 रुपये की भीख मिल पाती है, पहले यही 05 या 10 रुपये 01 रुपये के हिसाब से 05 या 10 भिखारियों में बंट जाते थे। आमतौर पर भीख में 1-2 के सिक्के दे देने की उदारता भी कम देखने को मिल रही है। प्रायः निम्न एवं मध्यम आय वर्ग के सभी घरों में बचत के रूप में 01 व 02 के सिक्के जमा करके रख चुकीं महिलाएं, गृहणियां भी खुद को ठगा सा महसूस कर रही हैं।

और तो और फटे नोट तक स्वीकार कर लेने वाले बैंक भी चिल्ल्हर लेने से इन्कार कर रह हैं। ऐसी परिस्थिति में आने वाले समय में आम जनता के पास जमा चिल्ल्हर भी कबाड़ की तरह तौलकर बाजार में बिकने लगे तो आश्चर्य नहीं होना चाहिये। इस समस्या से जान बूझकर अन्जान बनी सरकार व प्रशासन को तत्काल इस ओर ध्यान देकर आम जनता को इस परेशानी से निजात दिलाना चाहिये। कुछ लोग इस समस्या को सरकार की डिजिटल पेमेण्ट को बढ़ावा देने की मंशा से जोड़कर भी देख रहे हैं। सरकार की मंशा जो भी हो आम जनता का अहित नहीं होना चाहिये।

रविकांत पाण्डेय

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