फिल्टर प्लांट का क्या औचित्य जब नलों से आ रहा गंदा और बदबूदार पानी!

 

 

 

मुझे नगर पालिका से शिकायत है जिसके द्वारा गर्मी के दिनों में पेयजल की भीषण संकट की स्थिति को बना दिया जाता है। यदा कदा आने वाले नलों से भी गंदा और बदबूदार पानी ही प्रदाय किया जा रहा है।

नगर पालिका की कार्यप्रणाली का ये आलम है कि सिवनी में बोतल बंद पानी के व्यापार ने तेजी से अपने पैर पसार लिये हैं और इसमें बढ़ौत्तरी ही होती जा रही है। किसी के व्यापार में उन्नति होना किसी के लिये परेशानी की बात कतई नहीं हो सकती है लेकिन यहाँ वजह है कि नगर पालिका के द्वारा शुद्ध पेयजल ही नहीं दिया जा रहा है। इस स्थिति का सबसे ज्यादा खामियाजा गरीब तबके के लोगों को उठाना पड़ रहा है।

नलों से आने वाले पानी पर लोग यह सोचकर यकीन कर लेते हैं कि नगर पालिका के द्वारा यदि पेयजल दिया जा रहा है तो वह शुद्ध ही होगा लेकिन होता इसके उलट ही है। गंदा और बदबूदार पानी पीकर लोग बीमार पड़ रहे हैं और चिकित्सालयों में पहुँच रहे हैं। इस तरह नगर पालिका के कारण सिर्फ पानी के व्यापार में ही बढ़ौत्तरी नहीं हुई है बल्कि निजि चिकित्सा करने वाले चिकित्सकों की आय में भी वृद्धि हुई है।

इस सबकी मार सबसे ज्यादा गरीब ही सहता है। उसे पता नहीं होता है कि वह किस कारण से बीमार पड़ रहा है। उसे पेट की बीमारी जब-तब क्यों हो रही है। चिकित्सक शुद्ध पानी पीने की सलाह देता है और गरीब वर्ग नलों से आये पानी को ही शुद्ध मानकर उसका सेवन सामान्य रूप से करता रहता है जिसके कारण वो वर्ष में कई बार बीमार पड़ जाता है।

चिकित्सालयों में पहुँचने वाले मरीजों पर ही यदि गौर कर लिया जाये तो यहाँ आये ज्यादातर मरीज पेट की बीमारी से ग्रसित होते हैं और चिकित्सकों के अनुसार इन बीमारियों के पीछे 80 प्रतिशत कारण अशुद्ध जल का सेवन करना ही होता है। अब सवाल यह उठता है कि नगर पालिका यदि शुद्ध जल उपलब्ध नहीं करवा सकती है तो लोग किस पर भरोसा करें।

फिल्टर प्लांट में यदि पानी को शुद्ध किया जाता है तो नगर पालिका क्या इसका जवाब दे सकती है कि लोगों के घरों में गंदा और बदबूदार पानी कैसे पहुँच रहा है? फिल्टर प्लांट का क्या औचित्य रह जाता है यह समझ से परे ही है क्योंकि भीमगढ़ बाँध का पानी, लोगों के घरों तक पहुँचने की अपेक्षाकृत ज्यादा शुद्ध रहता है। भीमगढ़ बाँध से निकलने वाला पानी यदि पीकर देखा जाये तो उसमें न तो उतनी गंदगी दिखायी देती है और न ही उसमें बदबू ही होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या फिल्टर प्लांट से पानी गंदा और बदबूदार होकर निकलता है?

इसका जवाब शायद न में ही आयेगा क्योंकि लोगों के घरों के नलों में आने वाला पानी निश्चित रूप से नगर पालिका के रख रखाव के कारण अशुद्ध होता है। फिल्टर प्लांट से सिवनी तक पहुँची पाईप लाईन में कई स्थानों पर वाहनों को धुलते हुए सहज ही देखा जा सकता है। यह पानी ही टंकियों में भरा जाता है, जो बाद में लोगों के घरों में प्रदाय कर दिया जाता है। यह स्थिति लंबे वर्षों से बनी हुई है लेकिन नगर पालिका के द्वारा इस तरफ ध्यान न दिये जाने से ज्यादा आश्चर्य जनक बात यह है कि जिला प्रशासन भी इस ओर से अपनी आँखें मूंदे बैठा हुआ है।

विकास सूद

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