लचर है पुलिस की रात्रिकालीन गश्त!

 

इस स्तंभ के माध्यम से मैं यह जानना चाहता हूँ कि सिवनी शहर में पुलिस के द्वारा रात्रि कालीन गश्ती की भी जा रही है अथवा नहीं।

दरअसल हाल ही में कुछ इमारतों और वाहनों में काँच फोड़े जाने की घटनाएं हुईं हैं। इन घटनाओं को किसी अज्ञात के द्वारा ही अंजाम दिया जाना बताया जा रहा है। आश्चर्य जनक रूप से पुलिस अभी तक आरोपी या आरोपियों तक नहीं पहुँच पायी है जबकि बताया जाता है कि संपूर्ण शहर को सीसीटीव्ही कैमरों से सुसज्जित कर दिया गया है। पुलिस इन कैमरों की मदद क्यों नहीं ले पा रही है, यह भी स्पष्ट किया जाना आवश्यक है ताकि इन कैमरों में कहीं कोई दोष है तो उसे किसी संभावित गंभीर घटना के पहले ही दुरूस्त करवा लिया जाये।

रात्रि में अन्य शहरों से अपने घरों को लौटा जाये तब भी पुलिस का कोई भी गश्ती दल शहर की सड़कों पर गश्त करता हुआ नहीं दिखायी देता है जिसके चलते सभ्य समाज के लोगों में दहशत का घर करना वाजिब ही है। यदि पुलिस के द्वारा गश्ती नहीं ही की जा रही है तो यह जरायमपेशा लोगों के लिये तो राहत भरा माना जा सकता है लेकिन सभ्य समाज इससे हतोत्साहित ही होता दिख रहा है।

यदा-कदा रात के समय जब नागरिक गहरी निद्रा में लीन होते हैं उस वक्त बाईक पर लगाये गये हूटर की कान फोड़ू आवाजें लोगों की नींद में खलल ही उत्पन्न करने लायक मानी जा सकती हैं क्योंकि इसका कोई खौफ यदि असामाजिक तत्वों में होता तो न तो वे रात्रिकालीन समय में अनावश्यक रूप से विचरण कर रहे होते और न ही किसी के द्वारा इतनी आसानी से एक के बाद एक वाहनों भवनों को निशाना बनाया जाकर उनके काँच फोड़ दिये जाते।

कोतवाली पुलिस को अपनी कार्यप्रणाली पर गौर करना होगा। ऐसा लगता है कि जब शहर में कोई तनाव नहीं होता तब पुलिस के द्वारा उसे सामान्य समय मानते हुए यह अनुमान लगा लिया जाता है कि चोर उचक्के भी अपनी हरकतों को अंजाम नहीं देंगे। वरना क्या कारण है कि रात्रिकालीन समय में पुलिस का गश्ती दल दिखायी नहीं देता है।

आमतौर पर जब दुकानों को बंद करवाने का समय होता है तब पुलिस अत्यंत सक्रिय नजर आती है लेकिन उसके बाद पुलिस कहाँ गायब हो जाती है यह घर के अंदर बैठे लोग नहीं जान पाते हैं। घर के अंदर बैठे लोगों के द्वारा सहज रूप से यह अनुमान लगाया जाना सही माना जा सकता है कि देर रात को पुलिस भी आराम मोड में चली जाती है क्योंकि तभी तो काँच फोड़ने जैसी घटनाओं को सहज रूप से किसी के द्वारा अंजाम दे दिया जाता है। पुलिस के आला अधिकारियों से अपेक्षा है कि वे कोतवाली पुलिस को मार्गदर्शन देकर उसके तंत्र को मजबूत अवश्य करें।

अमित सलार