(ब्यूरो कार्यालय)
नई दिल्ली (साई)। आरबीआई ने देश में आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिये किए जाने वाले ट्रांजैक्शंस को फ्री कर दिया है। जानें, किन कारणों से केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया।
डिजिटल ट्रांजैक्शंस को बढ़ावा : आरटीजीएस का इस्तेमाल बड़ी रकम ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। आरटीजीएस के तहत कम से कम 2 लाख रुपये की रकम ट्रांसफर की जा सकती है, जबकि इसकी कोई ऊपरी सीमा नहीं है। वहीं, एनईएफटी के जरिये दो लाख रुपये तक की रकम का ट्रांसफर किया जाता है और यह सामान्य तौर पर एक दिन में हो जाता है।
डिजिटल पेमेंट्स पर नीलेकणि ने यह कहा था : डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई द्वारा नियुक्त नंदन नीलेकणि की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अगर बैंकों को डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना है तो उसे अपने ग्राहकों और छोटे दुकानदारों के डिजिटल ट्रांजैक्शंस पर शुल्क को हटा देना चाहिए।
एनईएफटी ट्रांजैक्शंस में 26 फीसदी की बढ़ोतरी : रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि बीते चार वर्षों में एनईएफटी ट्रांजैक्शंस के वॉल्यूम में 26 फीसदी सीएजीआर से वृद्धि दर्ज की गई है। ट्रांजैक्शंस की संख्या हालांकि कम है, लेकिन ट्रांजैक्शंस का साइज बड़ा है। पिछले पांच वर्षों में एनईएफटी ट्रांजैक्शंस का औसत साइज 60,000 रुपये से एक लाख रुपये के बीच रहा है।

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