संभाल कर रखें कांग्रेस का घोषणापत्र

 

 

(सुशांत कुमार)

आमतौर पर भारत में राजनीतिक पार्टियों के घोषणापत्र का महत्व रद्दी कागज के अलावा कुछ नही होता है। यह सिर्फ एक दिन की खबर होती है और उसके बाद इसे भूला दिया जाता है। कोई भी पार्टी घोषणापत्र में किए गए वादों को निभाने की जरूरत नहीं समझती है। कई बार यह बात उठी कि पार्टियों को घोषणापत्र के वादों पर अमल के लिए कानूनी रूप से बाध्य किया जाए। हालांकि इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई। तभी पार्टियां जी खोल कर वादे करती हैं और चुनाव के बाद उन्हें भूल जाती हैं।

पिछले साल के अंत में राज्यों में हुए चुनाव तक तो हालात यह थे कि पार्टियों ने चुनाव खत्म होने के थोड़े दिन पहले औपचारिकता पूरी करने के लिए घोषणापत्र जारी किया। अब चुनाव आयोग ने घोषणापत्र जारी करने के लिए एक समयसीमा तय की है। पार्टियां प्रचार बंद होने के 48 घंटे तक ही घोषणापत्र जारी कर सकती हैं। तभी इस बार कांग्रेस पार्टी ने अपना घोषणापत्र जल्दी जारी किया है। अब भी ज्यादातर पार्टियों ने घोषणापत्र जारी करने की औपचारिकता पूरी नहीं की है। बहरहाल, इस बार कांग्रेस का घोषणापत्र बहुत खास है। पार्टी ने इसे बड़े तामझाम के साथ जारी किया और इस बात पर जोर दिया कि वह इसमें किए गए वादों को पूरा करेगी। तभी कांग्रेस के इस घोषणापत्र को संभाल कर रखने की जरूरत है कि अगर वह चुनाव जीत कर सरकार बनाती है तो इसमें से कितने वादे पूरे करती है।

असल में कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रचार की थीम बनाई है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ वादे करते हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी वादे पूरे करती है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि उन्होंने अपना एक भी वादा तोड़ा नहीं है। इसलिए भी कांग्रेस का घोषणापत्र खास हो जाता है। कांग्रेस के नेता वादा कर रहे हैं कि अगर केंद्र में उनकी सरकार बनी तो देश के सभी गरीबों परिवारों को छह हजार रुपए महीना यानी 72 हजार रुपए हर साल दिए जाएंगे। कांग्रेस ने गरीबी पर वार, 72 हजार का नारा भी गढ़ा है।

इसी तरह कांग्रेस ने शिक्षा पर जीडीपी का छह फीसदी खर्च करने का वादा किया है और यह भी कहा है कि वह महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देगी। कांग्रेस ने वादा किया है कि वह किसानों के लिए एक अलग बजट बनाएगी। पहले रेलवे का अलग बजट होता था पर नरेंद्र मोदी की सरकार ने उसे आम बजट में मिला दिया। कांग्रेस ने किसान वोट को ध्यान में रख कर किसानों के लिए अलग बजट का वादा किया है। इनमें से हर एक वादा गेमचेंजर हो सकता है। पर सवाल है कि लोग इस पर कैसे भरोसा करेंगे?

भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस को पता है कि वह सरकार में नहीं आने वाली है इसलिए उसने बढ़ चढ़ कर वादे कर दिए हैं। पर इस बात की परीक्षा अभी नहीं हो सकती है। चुनाव नतीजों का अंदाजा अभी नहीं लगाया जा सकता है। पर कांग्रेस को कुछ ऐसा करना होगा कि लोग उसकी बात पर यकीन करें। जैसे उसने कहा है कि वह सरकार आने पर महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देगी। उससे पहले लोगों को खास कर महिलाओं को यकीन दिलाने के लिए अगर कांग्रेस लोकसभा में 33 फीसदी महिलाओं को टिकट दे तो भरोसा बन सकता है।

आखिर ममता बनर्जी ने 41 फीसदी और नवीन पटनायक ने 33 फीसदी टिकट महिलाओं को दी है। अगर कांग्रेस इस लोकसभा चुनाव में महिलाओं को 33 फीसदी टिकट दे देती है तो उसके सारे वादों पर भरोसा बन जाएगा। कायदे से कांग्रेस को अपने शासन वाले राज्यों में कुछ चीजों पर अमल करके दिखाना चाहिए था और उसके बाद वादा करना चाहिए था। कांग्रेस भरोसा दिलाने के लिए यह भी कह सकती है कि केंद्र में उसकी सरकार नहीं बनती है तो वह अपने शासन वाले राज्यों में इन वादों को लागू करेगी। अगर वह ऐसा नहीं करती है तो लोगों को यकीन दिलाना मुश्किल होगा।

कांग्रेस पार्टी ने जो अच्छे और लोक लुभावन वादे किए हैं उन पर लोगों को भरोसा दिलाना आसान नहीं है। पर इसके साथ ही उसने कुछ ऐसे वादे कर दिए हैं, जिन्हें भाजपा के नेता भुनाने का प्रयास करने लगे हैं। कांग्रेस का घोषणापत्र जारी होने के तुरंत बाद भाजपा ने कहा कि कांग्रेस का यह घोषणापत्र जितना बांटा जाएगा, कांग्रेस को उतना नुकसान होगा। भाजपा ने खास तौर पर राजद्रोह का कानून खत्म करने के वादे पर निशाना साधा है और कहा है कि आतंकवादियों, अलगाववादियों और नक्सलियों को राहत देने के लिए कांग्रेस ने यह वादा किया है। इसी तरह सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून यानी अफस्पा को नरम करने का मुद्द भी घोषणापत्र में शामिल कर कांग्रेस ने भाजपा को एक मौका दिया है। इन दो वादों के आधार पर कांग्रेस के घोषणापत्र को भाजपा देश तोड़ने वाला बता रही है। इस समय भाजपा और नरेंद्र मोदी देश में जो नैरेटिव बना रहे हैं उसे देखते हुए कांग्रेस को ऐसे मुद्दों पर चुप्पी रखनी चाहिए थी।

(साई फीचर्स)

SAMACHAR AGENCY OF INDIA समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.