अफसरों को भाने लगी पॉलिटिक्सक, नौकरी छोड़ हो रहे शामिल

 

 

एक वक्त हुआ करता था, जब अफसर रिटायरमेंट के बाद राजनीति में कदम रखने की सोचते थे। कहा जाता था कि उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान पॉलिटिक्स को बहुत करीब से देखा होता है। ऐसे में एक नेता का ग्लैमर उन्हें इस रास्ते पर चलने को प्रेरित करता है। अब इसमें बदलाव आया है। अफसरों को राजनीति इस कदर भाने लगी है कि उन्हें इसके लिए अपनी नौकरी छोड़ने से भी संकोच नहीं है। हाल का सबसे बड़ा उदाहरण हैं 2010 बैच के आईएएस टॉपर शाह फैसल। उनके फैसले ने सभी को चौंका दिया था। अफसर से नेता बने ऐसे ही कुछ चेहरों पर पूनम पांडेय की रिपोर्ट:

शाह फैसल : जम्मू-कश्मीर के पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने कुछ दिन पहले ही अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाई है, जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट। फैसल ने इसी साल जनवरी में नौकरी से इस्तीफा देते समय कश्मीर में कथित हत्याओं और इन पर केंद्र की ओर से कोई गंभीर प्रयास न करने का आरोप लगाया था। 35 साल के फैसल ने तब फेसबुक पर लिखा कि मेरा इस्तीफा राज्य की विशेष पहचान पर कपटपूर्ण हमलों और भारत में अति राष्ट्रवाद के नाम पर असहिष्णुता और नफरत की बढ़ती संस्कृति के विरुद्ध है।

प्रीता हरित : यूपी के मेरठ में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की प्रिंसिपल कमिश्नर प्रीता हरित ने इसी 20 तारीख को नौकरी छोड़कर कांग्रेस जॉइन की है। पार्टी ने उन्हें यूपी के हाथरस से टिकट भी दे दिया है। हरियाणा की रहने वाली 1987 बैच की यह आईआरएस अफसर दलित अधिकारों को लेकर सक्रिय रही हैं। वह राजनीति में आने का कारण बताती हैं, ब्यूरोक्रेसी में रहकर लोगों का उतना भला नहीं कर पा रहे, जितना संवैधानिक पद पर रहते हुए कर सकते हैं। समाज के लिए काम करने का इससे अच्छा जरिया नहीं है।

ओ.पी. चौधरी : छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह के करीबी माने जाने वाले 2005 बैच के इस आईएएस अधिकारी ने पिछले साल अगस्त में पद से इस्तीफा दिया था। रायपुर के कलेक्टर का पद छोड़कर उन्होंने भाजपा जॉइन की थी और पार्टी के टिकट पर खरसिया सीट से खड़े हुए, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। ओ.पी. चौधरी ने दंतेवाड़ा कलेक्टर के पद पर रहते हुए आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को विज्ञान की शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया था।

अल्फोंज कन्नाथानम : केंद्रीय मंत्री अल्फोंज कन्ननथनम इस लोकसभा चुनाव में एर्नाकुलम लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। केरल के कोट्टायम जिले के रहने वाले अल्फोंज 1979 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। वह 2006 में रिटायर हुए और वाम डेमोक्रेटिक फ्रंट के समर्थन से उसी साल कोट्टायम में निर्दलीय विधायक चुने गए। 2011 में वह भाजपा में शामिल हुए और 6 साल बाद राजस्थान से राज्यसभा सांसद बने।

आशीष रंजन सिन्हा : खाकी के बाद खादी पहनने वालों में बिहार के पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा भी हैं। राज्य में नीतीश कुमार की सरकार बनने के समय पुलिस के मुखिया सिन्हा ही थे। नौकरी के बाद उन्होंने आरजेडी जॉइन कर ली और काफी दिनों तक पार्टी के लिए काम किया। बाद में वह कांग्रेस में चले गए और 2014 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर नालंदा सीट से लड़ा था। चुनाव के बाद दिसंबर 2014 में आशीष भाजपा के पाले में आ गए।

अपराजिता सारंगी

ओडिशा की वरिष्ठ आईएएस महिला अधिकारी अपराजिता सारंगी ने अपने पद से इस्तीफा देकर पिछले साल नवंबर में भाजपा का दामन थाम लिया। बिहार की रहने वाली अपराजित 1994 बैच की आईएएस हैं। उन्होंने पांच साल तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहने के बाद वीआरएस के लिए आवेदन किया था। अपराजिता को भाजपा ने भुवनेश्वर लोकसभा सीट से कैंडिडेट बनाया है।

इस लिस्ट में और भी . . .

सत्यपाल सिंह : एचआरडी स्टेट मिनिस्टर सत्यपाल सिंह महाराष्ट्र कैडर के 1980 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। 2014 में यूपी के बागपत से चुनाव जीते और केंद्र में मंत्री भी बन गए।

हरदीप सिंह पुरी : 1974 में भारतीय विदेश सेवा में गए थे। उन्होंने जनवरी 2014 में भाजपा जॉइन की।

अरविंद केजरीवाल : दिल्ली के सीएम और।।च् प्रमुख ने 1992 में इंडियन रेवेन्यू सर्विस जॉइन की। कुछ साल बाद पद से इस्तीफा देकर आरटीआई के लिए काम करने लगे।

मणिशंकर अय्यर : कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने 1963 में भारतीय विदेश सेवा जॉइन की। 1989 में राजनीति में आने के लिए वीआरएस लिया।

मीरा कुमार : मीरा कुमार 2009 से 2014 तक लोकसभा की अध्यक्ष रहीं। उन्होंने 1973 में भारतीय विदेश सेवा जॉइन की। 1985 में वह राजनीति में आईं।

यशवंत सिन्हा : भाजपा से अलग हुए यशवंत सिन्हा 1960 के आईएएस हैं। 1990-91 में जनता दल के सदस्य के तौर पर प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के केंद्रीय मंत्रीमंडल में जगह पाई।

पी.एल. पूनिया : आईएएस रहे पीएल पूनिया ने 2005 में नौकरी छोड़ी और कांग्रेस में चले गए। 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे।

आर.के. सिंह : होम सेक्रेटरी रहे आईएएस अफसर आर.के. सिंह ने रिटायरमेंट के बाद भाजपा जॉइन की। 2014 में भाजपा के टिकट पर आरा से सांसद बने।

नटवर सिंह : पूर्व केंद्रीय मंत्री नटवर सिंह ने 1953 में भारतीय विदेश सेवा जॉइन की और 31 साल काम किया। 1984 में उन्होंने आईएफएस छोड़ दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। वह राजस्थान की भरतपुर सीट से आठवीं लोकसभा में चुने गए थे।

(साई फीचर्स)