ओजोन की रक्षा अर्थात पृथ्वी पर जीवन की सुरक्षा

 

 

(डॉ. प्रितम भि. गेडाम)

ओजोन यह ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली एक हल्के नीले रंग की तेज गंध वाली विषैली गैस है जो वायुमंडल में बेहद कम मात्रा में पाई जाती हैं। पृथ्वी की सतह से 20 से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर ओजोन गैस की एक परत पाई जाती है, इसे ही ओजोन परत कहते है, यह परत बहुत पतली होकर भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सूर्य से आने वाली पराबैगनी विकिरणों को सोख लेती है. पराबैगनी विकिरण अगर धरती तक पहुंच जाए तो यह सभी प्रकार के पेड़-पौधों और जीवो को नुकसान पहुंचाते हैं. और ओजोन परत मे छिद्र होने से इसके गंभीर परीणाम हमे देखने को मिल रहे है आज हमें त्वचा कैंसर, त्वचा के बूढ़ा होने और आंखों की खतरनाक बीमारियों के खतरों से दो-चार होना पड़ रहा है। ओजोन क्षरण के कारण प्रति वर्ष दुनियाभर में मेलेनोमा के लाखो नए मामले सामने आ रहे हैं और तकरीबन 66,000 लोग प्रति वर्ष स्किन कैंसर से मारे जा रहे हैं। ओजोन परत के क्षरण की समस्या पर विश्व भर का ध्यान आकर्षण हेतु संयुक्त राष्ट्र ने 16 दिसम्बर का दिन विश्व ओजोन दिवसके रूप में मनाने का निर्णय लिया।

1981 में जब ओजोन परत में होल होने की बात सबको पता चली तो ओजोन को नुकसान पहुंचने वाली गैसों को रोकने के लिए 1987 में कई देशो ने समझौता किया जिसका नाम मॉन्ट्रियल समझौता है 16 दिसम्बर, 1987 को सयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में ओजोन छिद्र से उत्पन्न चिंता निवारण हेतु कनाडा के मांट्रियाल शहर में 33 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे मांट्रियाल प्रोटोकालकहा जाता है। इस सम्मेलन में यह तय किया गया कि ओजोन परत का विनाश करने वाले पदार्थ के उत्पादन एवं उपयोग को सीमित किया जाए और फिर उपयोग बंद किया जाये।

ओजोन परत के क्षरण की क्रिया : ओजोन जहाँ निचले वातावरण में पृथ्वी के निकट इसकी उपस्थिति प्रदूषण को बढ़ाने वाली और मानव शरीर के लिए नुकसानदेह है, वहीं ऊपरी वायुमंडल में इसकी उपस्थिति अत्यावश्यक है। ओजोन परत का नाश करने वाली मुख्य गैसे ब्रोमो मीथेन, कार्बन टेट्रा क्लोराइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन्स, हैलोनस, हाइड्रो ब्रोमो फ्लोरो कार्बन्स, हाइड्रो क्लोरो फ्लोरो कार्बन्स, मिथाइल ब्रोमाइड, ट्राई क्लोरो ईथेन है. ये गैस उत्सर्जित होने के बाद समताप मंडल में प्रवेश करते हैं और वहां ये फोटोविघटन नामक प्रक्रिया द्वारा हलोजन परमाणुओं को उत्सर्जित करते हैं। क्लोरीन के एक परमाणु में हजारों ओजोन अणुओं को नष्ट करने की क्षमता होती है। क्लोरीन के अणु ओजोन के अणुओ को तोड़कर उसका क्षरण करते हैं। इससे ये ओजोन में ऑक्सीजन के टूटने का कारण बनते है, जिससे ओजोन की मात्रा में कमी आ जाती है और इसका क्षय होने लगता हैं। जब तापमान में वृद्धि होती है, तो ओजोन के उत्पादन की दर भी बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि क्लोरीन के स्तर को अपने सामान्य स्तर पर वापस लौटने में लगभग 50 साल का समय लग सकता हैं।

ओजोन दो प्रकार की है एक फायदेमंद व दूसरी नुकसानदेह : ओजोन की कुछ मात्रा निचले वायुमंडल अर्थात क्षोभमंडल में भी पाई जाती है एंवम यह ओजोन मानव निर्मित कारकों जैसे आंतरिक दहन इंजनों, औद्योगिक उत्सर्जन और बिजली संयंत्रों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण का परिणाम है। क्षोभमंडल में स्थित ओजोन परत एक हानिकारक पदार्थ के रुप में कार्य करता है। रासायनिक रूप से समान होने पर भी दोनों स्थानों पर ओजोन की भूमिका अलग-अलग है। वही समतापमंडल में ओजोन यह पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से बचाती है। वर्तमान में ओजोन परत का लगभग 20 प्रतिशत से ज्यादातर भाग का क्षय हो चुका है।

ओजोन परत से जीवन सुरक्षीत : ओजोन परत सूर्य से आने वाली बहुत सी हानिकारक किरणों से हमारी रक्षा करती है। यह परत मनुष्य और जीव-जंतुओं को इन किरणों की वजह से होने वाली खतरनाक बिमारियों से बचाती है। यह परत फसलों को नुकसान होने से बचाती है। ओजोन परत धरती के वायुमंडल का जो तापमान होता है उसे कंट्रोल करने में सहायक होती है। यह परत हमें कैंसर की घातक बीमारी होने से भी बचाती है। ओजोन परत हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे ही पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है। ओजोन परत मे हुए छिद्र का दायरा बढ रहा है जिसके वजह से मौसम मे बुरा बदलाव आयेगा और बर्फ तेजी से गलने लगेगी. समुद्रों का जलस्तर बढ़ने लगेगा. तटीय इलाकों के डूबने से करोड़ों लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा. गंभीर बिमारीया बढेगी, पृथ्वी का तापमान बढेगा, पशु-पक्षी जीव-जंतुओ पर गंभीर परीणाम होंगे एंवम नैसर्गीक संकटो मे वृद्धी होगी।

ओजोन परत की रक्षा प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी : ओजोन परत की सुरक्षा के लिए रासायनिक किटनाशको का उपयोग बंद हो, परीवहन के लिए निजी वाहनो का सीमित उपयोग करें व सार्वजनीक वाहनो का अधिकाधीक उपयोग हो अर्थात नैसर्गीक संसाधनो का सिमित उपयोग हो जीससे प्रदूषण कम हो, पर्यावरणीय अनुकूल घरेलू साफ-सफाई उत्पादों का उपयोग करे, रॉकेट लॉन्च के लिए सख्त नियम हो क्योकी इससे बडी मात्रा मे गैसो का उत्सर्जन होता है। घरेलू उपयोगी यांत्रीक संसाधन जैसे फ्रिज, एयरकंडीशनर, यांत्रीक कलपुर्जों की सफाई, अग्निशमन यंत्र आदि में क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स के उपयोग में लगातार वृद्धि होने से ओजोन परत के क्षरण की दर बढ़ रही है इसलिए ओजोन परत को बचाने आज मार्केट में ओजोन परत सुरक्षा के अनुकूल फ्रिज, कूलर आदि आ गए हैं। फोम के गद्दों का इस्तेमाल न किया जाए, प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो। रूम फ्रेशनर्स व केमिकल परफ्यूम का उपयोग न किया जाए। घर की बनावट ऐसी हो जिसमें रोशनी, हवा व ऊर्जा के लिए प्राकृतिक स्त्रोतों का प्रयोग हो। ज्यादा से ज्यादा पेड लगाये, प्रकृति का रक्षण करे और प्रत्येक नागरीक ने समाज के प्रति अपना दायित्व समझकर पर्यावरण की रक्षा करे। (विश्व ओजोन दिवस 16 सितंबर पर विशेष आलेख)

(साई फीचर्स)