(हरी शंकर व्यास)
मतगणना का दिन नरेंद्र मोदी का। इसलिए सर्वप्रथम उनको और चुनावी ग्रैंडमास्टर अमित शाह को सलाम! फिर उन माईबाप पाठकों से माफी, जिनके आगे मैं उम्मीद बताता रहा हूं कि मैं जो सत्य समझता हूं वैसामौन मतदाता भी सोचते होंगे। तभी नतीजे हल्ले से अलग होंगे। 23 मई 2019 के जनादेश का अर्थ है कि मुखर और मौनदोनों तरह के हिंदुओं को दबंगी चाहिए। मुझे सलमान खान और अक्षय कुमार पसंद नहीं हैं लेकिन बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट होना इन्हीं का भाग्य है तो मैं इस कारण फेल हूं तो हूं। हां, यह मैं पहले भी मानता रहा हूं कि हिंदू रूपहले सपनों में, भक्ति में जीता है और मोदी नेजब अपने को बतौर अवतार घर-घर पहुंचाया है तो घर-घर निश्चय हुआ कि हर्ज नहीं पांच साल और देने में ताकि जम्मू-कश्मीर में धारा 370, 35ए खत्म हो। पंडित वापिस वहां जा कर बसें।बांग्लादेशी घुसपैठिए भागें।पाकिस्तान की स्थायी तौर पर ठुकाई हो और हो जाए अयोध्या में मंदिर निर्माण। ताकि मोदी सरकार और भगवा नेताओं को बहाना न रहे कि हिंदू एजेंडे पर काम का पूरा वक्त नहीं मिला।
इसलिए मेरी भी आज मन से कामना, प्रार्थना है कि जिस मनोकामना में छप्पर फाड़ वोट का आशीर्वाद हुआ है वह सफल हो। मोदी हिंदू सपनों को साकार करें।
इस जनादेश का विपक्ष को, सबको सम्मान करना चाहिए।सभी उम्मीद करें, मन से प्रार्थना करें कि जनादेश नरेंद्र मोदी-अमित शाह को घमंड़ी नहीं बनाए। वे अपने को उन हिंदू आकांक्षाओं को साकार बनाने में खपाएं, जिसकी साध में कभी नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने भी अपने को संघ विचारधारा में झोंका था।
संदेहनहीं हर राष्ट्रवादी हिंदू की बेसिक चाहना है कि भारत का लोकतंत्र ऐसे विकल्प, विचार, कार्य, एजेंडे लिए हुए हो, जिसमें यदि नेहरू के आइडिया ऑफ इंडिया की विरासत रहे तो साथ मेंसंघ-भाजपा के आइडिया ऑफ इंडिया में पले-बढ़े-सत्ता पाए मोदी-शाह को भी अपने आइडिया ऑफ इंडिया में रीति-नीति, शिक्षा नीति, समाज-संस्कृति-आर्थिकी नीति में वहसब करने का मौका मिले, जिससे दुनिया सोचे कि हिंदुओं को आता है राज करना और फलां -फलां उपलब्धियां और प्रभावी मॉडल हैं। इस मामले में नया इंडिया अकेला वह अखबार है, जिसमें शंकर शरण, डॉ. वेदप्रताप वैदिक लगातार लिखते रहे है कि हिंदू आइडिया में प्राथमिकता के वैचारिक बिंदु और प्राथमिकताएं क्या-क्या हैं?
हाल में डॉ. वैदिक ने अपने कॉलम में कई बार उम्मीद जतलाई कि चुनाव जीतने के बाद नरेंद्र मोदी बदले हुए हो सकते हैं। वे अपने आपको बदलते हुए वह करेंगें, जिससे नई इबारत लिखी जा सके।
उनका वह विश्वास और परिवर्तन की उम्मीद आज के जनादेश से भी झलकती है। उस नाते जनादेश नरेंद्र मोदी के लिए निर्णायक अवसर भी है। मोटे तौर पर जीत के नगाड़ों का सत्व-तत्व उम्मीदों का पहाड़ है। इसे संभवतया भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ज्यादा बारीकी से समझ रहे होंगे। उन्हें पता है कि असेंबली लाइन में रिकार्ड वोट पकाने के लिए जनवरी से ले कर अब तब जितनी तरह के जो काम हुए हैं, जो वादे हुए हैं, जो वचन हुए हैं उसका कोर हिंदू है और इसके लिए एक्शन प्लान बना कर काम करना कितना जरूरी है।
बहरहाल, आज न विश्लेषण मतलब रखता है और न आगा-पीछा सोचा जाना चाहिए। आज सवा सौ करोड़ लोगों के साथ में भी उस विमान में बैठा हूं, जिसके कप्तान नरेंद्र मोदी और उपकप्तान अमित शाह की कप्तानी में मेरी नियति बंधी है। तभी हम सबको, सवा सौ करोड़ लोगों को नए पांच सालासफर केटेकऑफके लिए प्रार्थना करनी चाहिए कि यात्रा मंगलमय हो। मेरी और जिनकी भी जो आंशकाएं थीं या हैं वह गलत साबित हो। अगले पांच साल दुनिया जाने कि हिंदुओं को वैश्विक सभ्य समाजों जैसा राज करना आता है।
इसके लिए मैं कुर्सी की बेल्ट बांध छह महीने तक चुपचाप बैठे रहने की कोशिश करूंगा। मन ही मन प्रार्थना करूंगा कि टेकऑफ सही हो और सभी का पायलट के प्रति विश्वास बना रहे।
(साई फीचर्स)

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