राजनीतिक दलों की आर्थिक घोषणाओं पर रोक लगाने में सक्षम
(ब्यूरो कार्यालय)
इंदौर (साई)। चुनावी मौसम में राजनीतिक पार्टियों द्वारा की जा रही आर्थिक घोषणाओं और वादों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने मामले में चुनाव आयोग को शिकायत तो की लेकिन उसके कार्रवाई करने का इंतजार तक नहीं किया। चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है और वह राजनीतिक दलों की आर्थिक घोषणाओं पर रोक लगाने में सक्षम है।
याचिका संजीव कुमार ठाकुर ने एडवोकेट दीपक रावल और धर्मेंद्र चेलावत के माध्यम से दायर की थी। इसमें कहा गया था कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद राजनीतिक पार्टियों द्वारा की जा रही आर्थिक घोषणाओं से लालच देकर वोट हासिल करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिल रहा है। एक राजनीतिक दल ने तो राजद्रोह की धारा हटाने के संबंध में घोषणा तक कर दी। याचिका में तमाम घोषणाओं को रद्द करने और ऐसी घोषणा करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और चुनाव में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
सप्ताहभर पहले सुरक्षित रख लिया था फैसला
सप्ताहभर पहले डिविजनल बेंच ने याचिका में बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने एक अप्रैल को चुनाव आयोग के समक्ष प्रजेंटेशन दिया था। आयोग उनकी शिकायत पर विचार करता, इसके पहले ही याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया।