(ब्यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। अनुकंपा नियुक्ति की गुहार लगा रही महिला ने सीसीएफ बालाघाट मोहन मीणा और रेंजर परसराम मदनकर पर संगीन आरोप लगाए हैं। महिला ने बालाघाट एसपी को लिखित शिकायत की है, जिसमें आरोप लगाया है कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए रेंजर मदनकर ने 25 हजार रुपए मांगे और पैसों का इंतजाम न होने पर आपत्तिजनक शर्त रखी। यह पत्र वन मुख्यालय भी पहुंच गया है और पुलिस के साथ वन बल प्रमुख ने भी मामले की जांच कराने का फैसला लिया है। उधर, तबादले के 24 दिन बाद भी सीसीएफ मीणा रिलीव नहीं हुए हैं। इसे लेकर भी विभाग उन पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
बालाघाट में मुख्य वनसंरक्षक (सीसीएफ) मीणा और कर्मचारियों की बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। सीसीएफ मीणा और वनरक्षक उमाशंकर गूजरकर के बीच पिछले शुक्रवार तीखी तकरार हुई थी। गूजरकर निलंबन के बाद सीसीएफ से मिलने उनके ऑफिस पहुंचे थे, वहां विवाद के बाद मामला मारपीट तक पहुंच गया। जिस महिला को केंद्र में रखकर यह घटनाक्रम हुआ था। वह अब सीसीएफ मीणा और रेंजर के खिलाफ पुलिस के पास पहुंच गई है। एसपी को सौंपी शिकायत में महिला ने आरोप लगाया है कि घटनाक्रम के दौरान बीच-बचाव में सीसीएफ मीणा ने उसका हाथ पकड़कर धक्का दिया और मुक्के भी मारे। रेंजर मदनकर ने उसका गला दबाया और बाल पकड़े।
महिला ने शिकायत में लिखा है कि बाद में सीसीएफ ने ऑफिस में बुलाया और गूजरकर की तरफ से बयान देने पर अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने की धमकी दी। महिला ने शिकायत में नक्सलियों को सुपारी देने की धमकी देने का जिक्र भी किया है। ज्ञात हो कि इससे पहले महिला वनरक्षक रंजीता बोरकर ने सीसीएफ की शिकायत की थी।
24 दिन में रिलीव नहीं हुए
मीणा का 16 फरवरी को भोपाल में तबादला हो चुका है, लेकिन वे अब तक रिलीव नहीं हुए हैं। यहां तक कि विवाद की स्थिति को देखते हुए वन बल प्रमुख जेके मोहंती ने पिछले हफ्ते उन्हें तत्काल रिलीव होने के निर्देश दिए थे और व्यक्तिगत रूप से तबादला आदेश भी दे दिया था। फिर भी मीणा रिलीव नहीं हुए हैं।
इसलिए हुई थी मारपीट की घटना
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, मछुरदा बीट के वनरक्षक रहे उमाशंकर गूजरकर के दोस्त की मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी ने अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन लगाया है। गूजरकर इस मामले में महिला की मदद कर रहे थे। यह मदद महिला की मां को नागवार गुजरी और उन्होंने सीसीएफ मीणा से बेटी को गुमराह करने की शिकायत की। इस पर सीसीएफ ने गूजरकर को फटकार लगाई और फिर निलंबित कर दिया। इससे नाराज गूजरकर सीसीएफ से बात करने ऑफिस पहुंच गए थे।