बात उन दिनों की है जब अमेरिका में दास प्रथा अपने पूरे चरम पर थी। वहां बेकर नाम का एक दास रहता था। वह लगन, मेहनत से काम करते रहने के कारण स्वामी का विश्वासपात्र व्यक्ति बन गया। एक दिन जब बेकर अपने मालिक के साथ बाजार गया तो उसने देखा कई दास बिकने के लिए खड़े थे।
तब उसकी निगाह एक वृद्ध दास पर पड़ी। बेकर ने अपने मालिक से गुजारिश की, कि वह उस वृद्ध दास को खरीद लें। बेकर का मन रखने के लिए मालिक ने उस दास को खरीद लिया। कुछ देर बाद मालिक ने बेकर से पूछा, बेकर तुमने इतने बलशाली दास में से इस वृद्ध को क्यों चुना?
बेकर ने कहा, मालिक में इससे बेहतर ढंग से काम ले सकता हूं। बेकर उस वृद्ध की सेवा करता और हमेशा उससे अच्छे तरीके से पेश आता। मालिक यह सब कुछ देखता रहता। एक दिन मालिक ने पूछा, यह कौन है? बेकर ने कहा, नहीं यह कोई भी नहीं हैं मेरे न ही मेरे मित्र और न ही मेरे रिश्तेदार। मालिक ने जोर देकर पूछा, तो ये कौन हैं।
बेकर ने कहा, यह मेरा शत्रु है। यह वही व्यक्ति है जिसने मुझे गांव से पकड़कर दास के रूप में आपको बेच दिया था। इसे मालूम नहीं था कि मेरे लिए दास बनना कितना पीड़ा दायक रहा है। लेकिन उस दिन जब मैंने इसे बाजा़र में देखा तो में समझ गया कि यह वही शत्रु है, लेकिन अब यह वृद्ध हो चुका है और दया का पात्र है। यही कारण है कि में इसकी इतनी सेवा करता हूं।
बेकर की बात सुनकर मालिक की आंखें भर आईं। उसने दास प्रथा का विरोध करने का निर्णय लिया और दोनों को दासता से मुक्त कर दिया।

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