नशे में घटतीं दुर्घटनाएं!

 

 

(शरद खरे)

एक के बाद एक दुर्घटनाएं होने की बात सामने आ रही है। इनमें सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं दो पहिया वाहन से घटित हो रही हैं। इनमें न जाने कितने लोगों को चोट लगती है और न जाने कितने ही लोग काल कलवित भी हो रहे हैं। हाल ही में बबरिया के पास एक युवक की कथित सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी।

उक्त युवक की मोटर साईकिल के पास उसका शव पड़ा था और पास ही शराब की एक बोतल भी। कहा जा रहा है कि वह अपने कुछ परिचितों के साथ ढाबे में बैठा था, जहाँ उसके द्वारा मदिरा सेवन किया गया था। इस बात में कितनी सच्चाई है यह कहा नहीं जा सकता है।

अधिकांश दुर्घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में घटित हो रही हैं। इनमें अधिकांश में शराब का सेवन चालक के द्वारा किये जाने की बात सामने आ रही है। यह निश्चित तौर पर प्रशासन के लिये सही कदम उठाने का समय माना जा सकता है। शहर के अंदर तो पुलिस के द्वारा हेल्मेट की चैकिंग का अभियान चलाया जाता है पर ग्रामीण अंचलों में यह अभियान टांय टांय फिस्स ही नजर आता है।

जिला मुख्यालय में रात आठ बजे के बाद सड़कों से यातायात पुलिस गायब हो जाती है। इसके बाद सड़कों पर कोतवाली पुलिस ही दिखायी देती है। रात बारह बजे के बाद इक्का-दुक्का पुलिस कर्मी ही गश्त करते नजर आते हैं। घण्टे दो घण्टे में पुलिस के वाहनों के हूटर की आवाजें अवश्य सुनायी दे जाती हैं।

शाम ढलते ही अगर पुलिस के द्वारा शहर के बाहर जाने वाले मार्गों पर वाहनों की चैकिंग आरंभ कर दी जाये तो इसके अच्छे प्रतिसाद सामने आ सकते हैं। पुलिस को यह भी देखना होगा कि शहर से बाहर जाने वाले और शहर के अंदर आने वाले वाहन चालकों के द्वारा मदिरा का सेवन तो नहीं किया गया है! इसके अलावा अन्य नशा करके वाहन चलाने वालों के खिलाफ भी पुलिस को मुस्तैदी के साथ कार्यवाही करने की जरूरत है।

अमूमन होता यह है कि गाँव से शहर आने वाले लोग दिन भर कार्यालयों और बाजार आदि के काम निपटाने के उपरांत घर जाने के पहले मदिरा का सेवन कर लेते हैं। इसके बाद वाहन चलाते समय उनका नियंत्रण वाहन पर नहीं रह जाता है और दुर्घटना कारित हो जाती है।

वर्तमान में लोकसभा चुनावों की आचार संहिता प्रभावशील है। इस लिहाज से जिले में पुलिस हाई एलर्ट पर ही होगी। रात के समय वाहनों को रोककर उनकी तलाशी भी ली जा रही है पर देर रात घूमने वाले मयजदों के खिलाफ कठोर कार्यवाही न होने से इसके हौसले बुलंदी पर ही माने जा सकते हैं।

संवेदनशील जिलाधिकारी प्रवीण सिंह और जिला पुलिस अधीक्षक ललित शाक्यवार से जनापेक्षा है कि दोनों ही शीर्ष अधिकारियों के द्वारा इस मामले में ध्यान दिया जाकर उचित कदम उठाये जायें ताकि दुर्घटनाओं की तादाद में कमी आ सके और युवाओं को पथभ्रष्ट होने से भी बचाया जा सके।

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