स्थानीय प्रत्याशी को लेकर एकजुट हुए भाजपाई

 

 

एक वरिष्ठ नेता के घर सिर जोड़कर बैठे सिवनी के भाजपा नेता

(लिमटी खरे)

सिवनी (साई)। लोकसभा चुनावों का बिगुल बजने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के अंदर बासी कढ़ी में उबाल आता दिख रहा है। विधान सभा चुनावों में जिनके हाथों से टिकिट फिसली है उनमें से अधिकांश नेता रविवार को एक वरिष्ठ भाजपा नेता के आवास पर बैठकर स्थानीय प्रत्याशी के संबंध में मंत्रणा करते रहे।

भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि भारतीय जनता पार्टी में जिला स्तर पर पहली पंक्ति के नेताओं की फेहरिस्त में शामिल रहे अधिकांश नेताओं के द्वारा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष एक दूसरे की टांग इस कदर खींची गयी थी कि वरिष्ठ नेताओं द्वारा सिवनी के नेताओं को शिकायती नेता कहकर भी संबोधित किया जाता था।

सूत्रों ने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब मेडिकल कॉलेज का भूमिपूजन करने सिवनी आये थे उस समय भी इन नेताओं के द्वारा मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का अघोषित बहिष्कार किया गया था। इस सबके बाद भी भाजपा आलाकमान के द्वारा इन नेताओं में से किसी पर दांव लगाने की बजाय निर्दलीय विधायक रहे दिनेश राय पर ही भरोसा जताया गया और दिनेश राय के द्वारा सिवनी विधान सभा में भाजपा का परचम लहराकर भाजपा आलाकमान का भरोसा कायम रखा गया।

सूत्रों ने बताया कि इस बार बालाघाट लोकसभा सीट से भाजपा की टिकिट को लेकर वर्तमान सांसद बोध सिंह भगत, प्रदेश के पूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन अंदर ही अंदर अपने – अपने लिये प्रयासरत हैं। वहीं, गौरी शंकर बिसेन चाह रहे हैं कि इस बार लोक सभा की टिकिट उनकी पुत्री मौसम बिसेन को मिल जाये।

सूत्रों ने आगे बताया कि जैसे ही मौसम बिसेन के लिये गौरी शंकर बिसेन के द्वारा लॉबिंग आरंभ की गयी वैसे ही सिवनी के कुछ नेताओं के द्वारा पूर्व सांसद और पूर्व विधायक श्रीमती नीता पटेरिया के अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मीना बिसेन का नाम सियासी फिजा में उछाल दिया गया।

सूत्रों ने आगे कहा कि प्रदेश में अब काँग्रेस की सरकार है, इस लिहाज से अब निगम मण्डलों में भी इन नेताओं को स्थान मिलना मुश्किल ही है। इसके अलावा अगला विधान सभा चुनाव पाँच बरस बाद होना है, जिसके चलते पाँच सालों तक जनता के बीच बने रहने के लिये इनमें से किसी न किसी के पास पॉवर अवश्य होना चाहिये। सूत्रों ने कहा कि संभवतः यही कारण है कि ये नेता अब एकजुट हो चुके हैं, पर ये नेता किसको लोकसभा टिकिट देने की माँग एक सुर से कर पाते हैं यह प्रश्न भी अभी तक अनुत्तरित ही है। इसका कारण यह है कि इन नेताओं के द्वारा विधान सभा चुनावों के पूर्व भी इसी तरह की कवायद की गयी थी, पर किसी एक का नाम सामने न लाने के चलते भाजपा की टिकिट निर्दलीय से भाजपा का दामन थामने वाले दिनेश राय की झोली में चली गयी थी।

सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनावों की रणभेरी बजने के साथ ही अब लगभग वे सारे नेता लामबंद होना आरंभ हो गये हैं जो इस बार विधान सभा चुनावों में टिकिट पाने से वंचित रह गये थे। इनके द्वारा अब एक जुट होकर सिवनी मूल के किसी नेता को लोक सभा की टिकिट देने के लिये रविवार को मंत्रणा की गयी।

सूत्रों की मानें तो ये नेता संभवतः सोमवार को दिल्ली कूच करने वाले हैं, जहाँ इनके द्वारा भाजपा आलाकमान को अपनी भावनाओं से आवगत कराया जायेगा। सूत्रों ने बताया कि इन नेताओं की पहुँच सीधे तौर पर न तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक है और न ही संगठन के ताकतवर संगठन मंत्री रामलाल तक, तब ये अपनी भावनाओं को किस स्तर के नेता के समक्ष रखते हैं और उनके द्वारा इन नेताओं की भावनाओं को आलाकमान के समक्ष रखा जाता है अथवा नहीं, इस बात का पता भाजपा की बालाघाट की टिकिट घोषित होने के बाद ही चल पायेगा।