(शरद खरे)
महानगरों की तर्ज पर सिवनी शहर में भी हरियाली की चादर गायब ही दिखती है। शहर में जहाँ देखो वहाँ सीमेंट कांक्रीट का जंगल ही दिखायी देता है। सड़कें सीमेंट की हैं, यहाँ तक कि पानी निकासी की नालियों की दीवारें और नीचे की सतह भी सीमेंट की ही दिखायी देती हैं। इन परिस्थितियों में बारिश का पानी जमीन के अंदर जाये तो कैसे?
एक समय था जब सिवनी शहर में बाग बगीचे हुआ करते थे। खाली पड़े भूखण्डों पर हरे-भरे वृक्षों पर पक्षी कलरव करते दिख जाया करते थे। गर्मी में कोयल की कूक, लोगों के मानस पटल पर ग्रामीण परिवेश उकेर देती थी तो घरों में गेहूँ चावल बीनते हुए महिलायें कुछ हिस्सा निकालकर पक्षियों को दे दिया करतीं थीं। भागदौड़ की जिंदगी और कांक्रीटीकरण में यह सब विलुप्त ही हो गया है।
शहर में गर्मी के बढ़ने का कारण भी हरियाली का गायब होना ही माना जा सकता है। नगर पालिका परिषद के द्वारा भी शहर को हरा-भरा करने में कोई दिलचस्पी न लिया जाना आश्चर्य जनक ही माना जायेगा। शहर के बाग बगीचे एक-एक कर गायब हो चुके हैं। लोगों के घरों पर भी अब पेड़ पौधे कम ही दिख पाते हैं। शौकीनों के द्वारा अवश्य गमलों में कुछ पौधे लगाये जाकर अपना शौक पूरा किया जा रहा है।
वन विभाग के कार्यालयों में भी अपेक्षाकृत कम ही हरियाली देखने को मिलती है। जिला कलेक्टर कार्यालय में भी पेड़ पौधों का अभाव दिख जाता है। कलेक्टर कार्यालय, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण यंत्री, कार्यपालन यंत्री कार्यालय, अपर बैनगंगा कॉलोनी, जिला उद्योग केंद्र, जिला चिकित्सालय परिसर आदि ऐसे क्षेत्र हैं जिनके पास पर्याप्त भूखण्ड हैं। वे चाहें तो अपने अपने कार्यालय परिसरों में वृक्षारोपण कर सकते हैं। सामाजिक वानिकी के द्वारा भी शहर में वृक्षारोपण करने में दिलचस्पी नहीं ली जाती है।
पुलिस अधीक्षक चाहें तो जिले के सभी थाना प्रांगणों में छायादार वृक्ष लगवा दिये जायें और इनकी देखरेख पुलिस महकमे के अधिकारी कर्मचारी आसानी से कर सकते हैं। कम से कम थाना परिसर तो हरा-भरा नज़र आने लगेगा।
शहर में कंपनी गार्डन में हरियाली बहुतायत में है। इसके अलावा ज्यारत नाके पर स्टेट बैंक कॉलोनी में पेड़ों की छाँव दिखायी दे जाती है। इसके अलावा टैगोर वार्ड राजपूत कॉलोनी निवासी सरिता पति के.पी. मेहता के घर पर हरियाली देखने लोग पहुँच रहे हैं।
बारिश आने को है, बारिश में पौधों को अगर लगाया जाये तो ज्यादा देखरेख की आवश्यकता नहीं पड़ती है। शहर में जिस तेजी से कांक्रीट का उपयोग हो रहा है उसे देखते हुए अब वृक्षों को लगाया जाना आवश्यक होने लगा है। सिवनी को हरा-भरा करने के लिये ग्रीन सिवनी की मुहिम सराहनीय है।
हाल ही में कंपनी गार्डन में हरियाली को लेकर जनजागरूकता भी देखी गयी जो प्रशंसनीय है। सोशल मीडिया व्हाट्सएप पर भी हरियाली को लेकर युवा फिकरमंद नज़र आ रहे हैं।
जिला प्रशासन से जनापेक्षा है कि सिवनी को हरा-भरा करने के लिये समय सीमा में मुहिम चलाये जिसमें स्थानीय नागरिकों को भी भरोसे में लिया जाये। अगर ऐसा हुआ तो दो-तीन सालों में सिवनी की तस्वीर बदली-बदली नज़र आने लगेगी।