कहाँ से लायें वजन . . .!

 

 

(लिमटी खरे)

सालों पहले 1984 में प्रकाश मेहरा ने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को लेकर एक मशहूर फिल्म बनायी थी, नाम था शराबी। इस फिल्म में वैसे तो काफी कुछ चर्चित रहा, पर इस चलचित्र में ओम प्रकाश और अमिताभ बच्चन के बीच हुआ वार्तालाप सिवनी के वर्तमान हालातों में एकदम सटीक बैठता दिख रहा है।

इस फिल्म में मुंशी जी (ओम प्रकाश) के द्वारा विक्की बाबू (अमिताभ बच्चन) की परवरिश बचपन से की जाती है। मुंशी जी बार-बार शायरी करते नजर आते हैं। उन्हें देखकर विक्की बाबू भी शायरी करने का प्रयास करते हैं पर उनसे तुकबंदी नहीं हो पाती है। मुंशी जी उन्हें कई बार टोकते हुए कहते हैं इसमें वजन लाओ . . .! इसके जवाब में विक्की बाबू कहते हैं बस यही तो बात है मुंशी जी, ये कमबख्त वज़न कहाँ से लायें? रदीफ़ पकड़ते हैं तो काफ़िया तंग पड़ जाता है, काफ़िये को ढील देते हैं, वज़न गिर पड़ता है, ये वज़न मिलता कहाँ है?

ठीक इसी तरह के हालात सिवनी में दिख रहे हैं। सालों से सिवनी में जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते अफसरशाही के बेलगाम घोड़े बेखटके दौड़ रहे हैं। अफसरों को सांसद, विधायकों तक की परवाह नहीं रह गयी है, या यूँ कहा जाये कि सांसद, विधायकों को ही इन अधिकारियों से जिले के हित में काम करवाने की फुर्सत नहीं है तो ज्यादा उपर्युक्त होगा।

जिले के आला अधिकारियों को सालों से जमे अफसरान के द्वारा सर यह बात नहीं है . . ., इसमें तकनीकि समस्या है . . ., बजट आवंटन का अभाव है . . . यह इस मद का नहीं है . . ., जल्द ही पूरा करवा दिया जायेगा . . ., मैं तो अभी ही इस पद पर आया हूँ . . . जैसे जुमले सुनाकर संतुष्ट कर दिया जाता रहा है।

मामला चाहे ट्रामा केयर यूनिट का हो, जिले में दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाओं का या जलावर्धन योजना का, हर मामले में अब तक किसी तरह का कठोर कदम किसी भी जिलाधिकारी के द्वारा नहीं उठाया गया है। यहाँ तक कि 2015 में आशादीप विशेष विद्यालय को आर्थिक रूप से समृद्ध करने हुए दृष्टि कार्यक्रम के पहले तो सरकारी और अन्य स्तर पर विज्ञप्तियों के ढेर लग गये थे, पर इस कार्यक्रम के उपरांत आज तक इसका हिसाब सार्वजनिक नहीं किया गया है।

यह कार्यक्रम उस समय किया गया था जब भरत यादव जिलाधिकारी हुआ करते थे। उनके बाद धनराजू एस. गोपाल चंद्र डाड जिलाधिकारी रह चुके हैं फिर भी इस कार्यक्रम का हिसाब-किताब सार्वजनिक नहीं कराया जा सका है।

जिले से होकर फोरलेन का उत्तर दक्षिण गलियारा गुजर रहा है। इस फोरलेन पर नियमानुसार एक ट्रामा केयर यूनिट सिवनी के बायपास पर बनना चाहिये था। यह यूनिट 2010 में आरंभ हो जाना चाहिये था, क्योंकि 2010 से ही एनएचएआई के द्वारा इस सड़क पर टोल वूसली का काम आरंभ करवा दिया गया है। नौ सालों में अब तक किसी के द्वारा भी इसे आरंभ करवाने में दिलचस्पी नहीं ली गयी है।

अब यह बताया जा रहा है कि यह ट्रामा केयर यूनिट सिवनी के जिला अस्पताल में बनवा दिया गया है, जबकि अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि जिला अस्पताल में बना ट्रामा केयर यूनिट केंद्रीय इमदाद से तो बना है पर यह एनएचएआई के द्वारा नहीं बनाया गया है। इसके लिये अस्पताल में वर्तमान में पदस्थ एक चिकित्सक ने दिल्ली-भोपाल एक कर दिया था।

वर्तमान जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा जलावर्धन योजना के ताबड़तोड़ निरीक्षण किये गये। इसके बाद उनके द्वारा जिला चिकित्सालय के निरीक्षण दर निरीक्षण किये गये। सरकारी स्तर पर जारी होने वाली विज्ञप्तियों में इस बात को प्रमुखता के साथ जारी किया गया था।

आज शहर के अनेक वार्डों में पानी की किल्लत मची हुई है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। शहर में पानी प्रदाय करने में नगर पालिका के ट्रैक्टर्स हांफते नजर आ रहे हैं। शहर के अनेक हिस्सों में आज भी लोगों का आधा दिन पानी के चक्कर में ही निकल जा रहा है। इसके बाद भी न तो उन अधिकारियों (जिनके रहते यह जलावर्धन योजना पूरी नहीं हो पायी और इस योजना की नब्बे फीसदी राशि का भुगतान ठेकेदारों को कर दिया गया) और न ही ठेकेदार के खिलाफ किसी तरह की कठोर कार्यवाही नहीं किया जाना क्या दर्शाता है!

जिला अस्पताल में आज भी बिना पैसे के किसी के काम नहीं हो रहे हैं। जिला अस्पताल आज भी गंदगी से सराबोर है। अस्पताल की व्यवस्थाएं किस तरह की हैं यह बात स्वयं जिलाधिकारी उस समय देख चुके हैं जब सीआरपीएफ की एक जवान को उपचार के लिये अस्पताल ले जाया गया था। बाद में उन्हें निजि अस्पताल ले जाया गया और नागपुर में उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था।

निरीक्षण दर निरीक्षण, निर्देश दर निर्देश से एक बात ही जहन में आती है और वह है शराबी चलचित्र का ऊपर लिखा विक्की बाबू का डायलॉग . . .। निश्चित तौर पर जिलाधिकारी हर स्थान पर तो जाकर देख नहीं सकते हैं। इसके लिये हर विभाग के जिलाधिकारी हैं। अगर जिलाधिकारियों की मश्कें कसी जायेंगी तो वे अपने अधीनस्थों से नियमानुसार और सही काम करवाने के लिये पाबंद होंगे। वस्तुतः जो भी काम हो रहे हैं वे सिवनी जिले के नागरिकों के हित के लिये ही हो रहे हैं, पर कम से कम एक बार तो जिले के निवासियों से पूछ लिया जाये कि जिलावासियों की मंशा क्या है . . . अन्यथा निरीक्षण और निर्देशों का सिलसिला उसी तरह चलता रहेगा जिस तरह पहले चलता आया है . . .!

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