आखिर कमी कहाँ रह जा रही . . .!

 

 

(लिमटी खरे)

0 सालों बाद सिवनी में किसी जिलाधिकारी के द्वारा लगातार ही अनेक विभागों को अपने राडार पर लिया जाकर औचक निरीक्षण करते हुए निर्देश जारी किये जा रहे हैं। इसके बाद भी व्यवस्थाओं में वांछित सुधार परिलक्षित नहीं हो पा रहे हैं। यह सोचना होगा कि आखिर क्या वजह है कि जिले के सबसे ताकतवर और वरिष्ठ अधिकारी के प्रयास रंग नहीं नहीं ला पा रहे हैं!

0 जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह की तैनाती विधान सभा चुनावों के उपरांत सिवनी में हुई थी। उनके द्वारा फरवरी माह में नवीन जलावर्धन योजना का कम से कम आधा दर्जन से ज्यादा बार निरीक्षण किया जाकर ठेकेदार को निर्देश दिये गये थे कि 01 मार्च से इस योजना का पानी शहर को मिलना आरंभ हो जाना चाहिये। आज 11 मई है और आज भी शहर में पानी की जिस तरह की किल्लत चल रही है उससे यही प्रतीत हो रहा है कि जिला प्रमुख के निर्देश कुनैन की गोली की तरह कड़वे तो हैं पर असरकारक नहीं!

0 इसी तरह जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा बार-बार जिला अस्पताल का निरीक्षण किया जाकर दिशा निर्देश, फटकार, निलंबन, सेवा समाप्ति जैसे सारे प्रयास किये जा चुके हैं इसके बाद भी अस्पताल की व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ पा रही हैं। इसका कारण यही हो सकता है कि जिलाधिकारी के द्वारा प्रयास तो किये जा रहे हैं पर इन प्रयासों में कहीं न कहीं कोई कमी रह जा रही होगी।

0 नवीन जलावर्धन योजना का लाभ जिला मुख्यालय की जनता को मार्च 2016 से मिलना आरंभ हो जाना चाहिये था। इसके लिये विस्तृत प्राक्कलन बनाते समय सारी बातों का ध्यान रखा गया होगा। इसके लिये जरूरी अनुमतियों के लिये भी समय सीमा तय की गयी होगी, फिर क्या वजह है कि इस योजना को मई 2019 तक आरंभ नहीं कराया जा सका है!

0 जाहिर है इसके पहले नगर पालिका में पदस्थ रहे जिम्मेदार अफसरान के द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया होगा! इसके अलावा उस समय भाजपा प्रदेश में सत्ता में थी। इस योजना की मलाई निश्चित तौर पर उस समय के जनप्रतिनिधियों के द्वारा खायी ही गयी होगी। अब प्रदेश में काँग्रेस सत्ता में है, इसके बाद भी अब तक ठेकेदार या उन अधिकारियों जिनके द्वारा ठेकेदार को साठ करोड़ रूपये दिये गये, पर कार्यवाही न होने के कारण आम जनता के मानस पटल पर यह प्रश्न कौंधना स्वाभाविक ही है कि इस योजना की मलाई जिनके द्वारा खायी गयी, उन्हें संरक्षण देने का काम वर्तमान हुक्मरान कर रहे हैं!

0 होना यह चाहिये कि जिन अधिकारियों के द्वारा इस योजना में ठेकेदार के द्वारा किये गये नियम विरूद्ध काम को माप पुस्तिका (एमबी) में दर्ज किया जाकर ठेकेदार को लगातार ही भुगतान किया गया है उनके वेतन भत्तों (अगर सेवानिवृत्त हो गये हैं तो उनकी पेंशन से) इसकी वसूली की जाना चाहिये। इसके लिये उस समय सीएम हेल्प लाईन सहित अन्य स्थानों पर की गयी शिकायतों पर भी ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।

0 ऐन गर्मी के मौसम में पुरानी लाईन, नयी लाईन को आपस में जोड़कर प्रयोग करना कहाँ तक उचित है। कई-कई इलाको में दस दिन से ज्यादा समय से पानी नहीं आया है। जनता को शायद इस बात से ज्यादा सरोकार नहीं है कि गलती किसकी है, जनता तो बस पानी चाहती है जिसे देने में नगर पालिका पूरी तरह अक्षम ही दिख रही है।

0 इसी तरह जिला अस्पताल का निरीक्षण भी लगभग आधा दर्जन बार जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा किया जा चुका है। जलावर्धन योजना की तर्ज पर जिला अस्पताल में भी सुधार परिलक्षित नहीं हो रहा है। लगभग दस दिन पूर्व किये गये निरीक्षण के दौरान एक पीड़ित के द्वारा प्रसव के दौरान पाँच हजार रूपये की सेवा शुल्क लेने की बात जिला कलेक्टर से कही गयी थी। जिला कलेक्टर के द्वारा यह पूछा गया था कि किसके द्वारा यह राशि ली गयी थी! युवक के द्वारा देखकर पहचाने जाने की बात कहने पर, युवक का नाम पता और मोबाईल नंबर नोट कराया गया था। इसके बाद युवक के द्वारा एक छोटी सी वीडियो क्लिप दिखायी जाकर उस स्वास्थ्य कर्मी की पहचान की गयी थी जिसके द्वारा पैसे लिये गये थे। इस मामले में दस दिन बाद क्या कार्यवाही हुई शायद ही कोई जानता हो!

0 इन पूरे निरीक्षणों और की गयी कार्यवाहियों में एक बार उभरकर सामने आ रही है वह यह कि जिलाधिकारी के द्वारा तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को फटकार लगायी जाकर उनके खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। इन कर्मचारियों पर नियंत्रण करने का काम जिन अधिकारियों का है, उन अधिकारियों के खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही आखिर क्यों नहीं हो पायी यह शोध का ही विषय माना जायेगा! होना यह चाहिये था कि अगर अस्पताल या नगर पालिका के द्वारा जिला कलेक्टर के निर्देशों को अगर हल्के में लिया जा रहा है और व्यवस्थाएं नहीं सुधारी जा रही हैं तो यहाँ के प्रभारियों पर कार्यवाही की जाना चाहिये थी। वस्तुतः ऐसा कुछ होता दिख नहीं रहा है।

0 आचार संहिता के चलते इन निरीक्षणों में कुछ की सेवा समाप्त हुई, कुछ को निलंबित किया गया, कुछ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, इसका मतलब यही है कि आचार संहिता के चलते इस तरह की कार्यवाहियां हो सकती हैं। अगर ऐसा है तो अब तक अस्पताल प्रबंधन और नगर पालिका के प्रभारी अधिकारियों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस तक जारी न किये जाने से (अगर हुआ भी हो तो आधिकारिक तौर पर जानकारी अप्राप्त) इस तरह के निरीक्षण सतत जारी रहेंगे और व्यवस्थाओं में परिवर्तन हेतु उम्मीद की किरणें बहुत ही धूमिल ही प्रतीत होती रहेगी . . .!

samachar

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 में किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.