नियुक्ति के नाम पर माँगे 20 हजार, पहुँच गये जेल

 

(अपराध ब्यूरो)

सिवनी (साई)। विकास खण्ड घंसौर के ग्राम लुटमरा गाँव की निवासी महिला के आशा सहयोगी के पद पर फॉर्म भरने और इसके बाद की जाने वाली नियुक्ति के नाम पर रिश्वत लेने वाले मोवीलाइजर को सजा सुनायी गयी है।

मीडिया सेल प्रभारी मनोज सैयाम ने बताया कि प्रकरण में प्रार्थिया आशा धुर्वे (32) पति पोहप सिंह धुर्वे निवासी ग्राम लुटमरा, थाना घंसौर के द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र घंसौर मे आशा सहयोगी के पद पर भर्त्ती निकली थी जिसमें प्रार्थिया के द्वारा भर्त्ती के लिये फॉर्म भरा गया था। प्रार्थिया की वरिष्ठता एवं मेरिट के आधार पर उसकी नियुक्ति होना निश्चित था।

उन्होंने बताया कि सामुदायिक स्वास्थय केंद्र घंसौर में पदस्थ बिजेन्द्र डहेरिया जो कि बीसीएम (ब्लॉक कम्यूनिटी मोवीलाईजर) के पद पर पदस्थ था के द्वारा आशा धुर्वे से आशा सहयोगी के पद पर नियुक्ति के लिये उससे 20,000 हजार रूपये की माँग कर रहा था और न देने पर नियुक्ति नहीं होने की बात कर रहा था।

उन्होंने बताया कि आशा धुर्वे 20,000 रूपये की रिश्वत नहीं देना चाहती थी क्योंकि वह उस पद के उपयुक्त और योग्य उम्मीदवार थी और उसका चयन होना ही था। इस कारण उसने लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक जबलपुर को आरेापी के द्वारा रिश्वत माँगने की शिकायत की थी।

इस पर लोकायुक्त पुलिस जबलपुर द्वारा प्रार्थिया को 16 जून 2015 को आरोपी से रिश्वत संबधी बातचीत को रिकॉर्ड करने को दिया था जिसमें आरोपी और प्रार्थिया की रिश्वत संबंधी बातचीत रिकॉर्ड कर ली थी और पाँच हजार रूपये दे दिये थे। इसकी रिकॉर्डिंग भी की गयी थी।

19 जून 2015 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घंसौर सिवनी में आरेापी बिजेन्द्र डहेरिया (बीसीएम) को प्रार्थिया आशा धुर्वे से 15000 रूपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था। लोकायुक्त पुलिस के द्वारा आरोपी से रिश्वत की रकम जप्त की गयी थी और अन्य कार्यवाही एवं विवेचना पूर्ण कर आरोपी बिजेन्द्र के विरूद्ध अभियोग पत्र न्यायालय ऋषि श्रीवास्तव, विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सिवनी की न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक दीपा मर्सकोले एवं नवल किशोर सिंह के द्वारा आशा धुर्वे एवं अन्य गवाहों के कथन न्यायालय में कराये गये और अन्य सबूतों को पेश किया गया।

उपरोक्त सबूतों के आधार पर आरोपी बिजेन्द्र डहेरिया को आशा धुर्वे से 15 हजार रूपये रिश्वत लेने के अपराध में दोषी पाते हुए न्यायालय द्वारा आरोपी को विभिन्न धाराओं के तहत तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000 रूपये अर्थदण्ड एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित करने का निर्णय सुनाया गया है।