मशरूम की खेती के लाभ बता रहे कृषि वैज्ञानिक

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। मशरुम उत्पादन तकनीक पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का आयोजन ग्राम खापा बघराज में आयोजित किया गया प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विज्ञानं केंद्र सिवनी के खाद्य विशेषज्ञ जीके राणा द्वारा मशरुम के पोषण और उत्पादन तकनीक पर जानकारी दी।

कृषि विज्ञानं केंद्र सिवनी के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ.एन.के. सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित प्रशिक्षण में बताया गया कि मशरुम मधुमेह के रोगियों व मोटापे के शिकार लोगों के लिये उत्तम भोजन है। मशरूम में कोलेस्ट्रॉल विहीन गुणवत्ता वाली कम वसा होती है। इन गुणों के कारण हृदय रोगियों के लिये यह श्रेष्ठ आहार है।

दूध, अण्डा, मांस, मछली, पालक, सामान्य सब्जियों एवं दालों की तुलना में मशरूम में बहुत ही अच्छी गुणवत्ता वाली प्रोटीन पायी जाती है। मशरूम प्रोटीन की गुणवत्ता मांसाहारी आहार के बराबर आंकी गयी है। सूखी हुई मशरूम ;ढींगरी और अन्य सूखे मशरूमों में 20 से 30 प्रतिशत तक प्रोटीन होती है।

मशरूम में फॉलिक एसिड तथा विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स के साथ आयरन भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। परिणामस्वरूप एनीमिया रोगियों के लिये यह दवाई का काम करता है। गर्भवती महिलाओं और बढ़ते हुए बच्चों को मशरूम खाने की सलाह दी जाती है। मशरुम की खेती कृषकों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।

इसकी खेती के लिये अन्य फसलों के समान खेत की आवश्यकता नहीं होती। अतः यह छोटे एवं भूमिहीन किसानों तथा गृहणियों के लिये उपयुक्त व्यवसाय हो सकता है। इसे अपनाकर बढ़ती हुई बेरोजगारी एवं अपर्याप्त पोषण की समस्याओं को कम किया जा सकता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित कृषको और महिलाओ को ओयस्टर मशरुम उत्पादन तक्नीक पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की गयी।

कार्यक्रम में उपस्थित कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन विशेषज्ञ डॉ.किरण पाल सिंह सैनी द्वारा कृषको को मुर्गी पालन और पशुपालन से सम्बंधित जानकारी प्रदान की और कृषको की पशुपालन से सम्बंधित समस्याओ का समाधान किया इस अवसर पर कृषि अधिकारी श्री जागेश्वर बघेल द्वारा कृषको को समन्वित खेती को अपनाकर जोखिम काम करने पर चर्चा की।