सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश हो रही जेल में

 

(अपराध ब्यूरो)

सिवनी (साई)। सर्किल जेल में विचाराधीन महिला-पुरुष बंदी सांप्रदायिक सौहाद्र की मिसाल बनाने मे जुटे हैं। यहां बंदियों ने अपने दुःख-दर्द के साथ आस्था भी बांट ली हैं। किसी भी धर्म का तीज-त्योहार हो, या कोई धार्मिक अनुष्ठान, हर बंदी इन्हें पूरी श्रद्धा के साथ मनाकर कौमी एकता को मजबूत करने में लगे हैं।

इसी कड़ी के चलते सोमवार को जिला जेल में महिला बंदी ने अपने पति की दीर्घायु के लिए तीज व्रत रखा इसके लिए प्रशासन ही नहीं अपितु वहां बंदी पुरुषों ने भी कठिन व्रतधारी महिलाओं के लिए फुलेरा, फल-फूल, कपड़े अन्य पूजन सामग्रियां उपलब्ध कराई। एक ओर जहां जिला जेल में सुबह से ही महिलाएं तीज व्रत की पूजन में जुटी थी वहीं बुद्धि के दाता प्रथम पूज्यनीय भगवान श्रीगणेश की स्थापना भी विधि-विधान से की गई।

जेल अधीक्षक एएस ठाकुर, उप अधीक्षक एचएस आर्माे ने बताया कि वर्तमान में यहां 10 महिलाओं में से चार महिलाओं ने तीज व्रत रखा है। व्रतधारी महिलाओं ने महिला वार्ड में पूजन किया। जिसमें अन्य बंदी महिलाओं के साथ जेल की महिला स्टाफ का पूरा सहयोग रहा।

जय गणेश से गूंजा जेल : जिला जेल में 320 पुरुष बंदी हैं। जिसके तहत सोमवार को जोल के चार नम्बर हनुमान मंदिर प्रांगण में विधि-विधान से गणेश प्रतिमा स्थापित की गई। बंदियों में से ही एक ने पूजन पाठ किया तो मुस्लिम धर्मावलम्बियों ने भी गणेश की आरती, भजन में शामिल होकर जय गणेश के नारे लगाए। पिछले चार-पांच सालों से गणेश बिठाए जाए रहे हैं। इससे जेल में धार्मिक वातावरण निर्मित हो गया।

जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल परिसर में भगवान गणेश व माता दुर्गा प्रतिमा स्थापित की जाती है। सभी लोग सुबह जल्दी स्नान करके आरती में पहुंचते हैं। 10 दिन तक यहां धार्मिक वातावरण बना रहेगा। सुबह-शाम ढोलक, मजीरा, हारमोनियम, केसीओ, झांझर आदि से बंदी मधुर स्वर से भक्ति गीत, लोक गीत आदि गाते हैं। वहीं लखनादौन उपजेल के जेलर गणेश सिंह ने बताया कि यहां दो बंदी महिलाएं हैं। उपवास पर कोई नहीं है। यहां 125 पुरुष बंदी, दो महिला बंदी एक शिशु हैं। इस तरह बंदियों की कुल तादाद 137 हैं।

पूजा-पाठ या किसी त्योहार पर बंदियों को किसी चीज की आवश्यकता होती है मुहैया करा दी जाती है। जेल में सभी आपसी भाइचारे के साथ उत्साह से सभी पर्व मनाते हैं।

एएस ठाकुर,

जेल अधीक्षक.

सर्किल जेल, सिवनी.