. . .और धूं-धूंकर जल उठी लंका

 

(ब्यूरो कार्यालय)

आदेगाँव (साई)। लंका जारि असुर संघारे, सियाराम जी के काज संवारे। रामायण की इस चौपाई के साथ राधाकृष्ण रामलीला मण्डल की रामलीला में राम भक्त हनुमान के द्वारा विभीषण की कुटिया को छोडकर संपूर्ण रावण की सोने की लंका को जला दिया गया।

इसके पूर्व लीला के मंचन में हनुमान ने भगवान श्रीराम की मित्रता सुग्रीव से करवायी, बालि का वध हुआ। राम भक्त हनुमान एवं रावण संवाद के उपरांत रावण के आदेश पर राम भक्त हनुमान की पूंछ में आग लगा दी गयी पर इसमें संपूर्ण लंका जल जाती है। लंका से हनुमान की वापसी के बाद सेतु बंध, रामेश्वर स्थापना तक की लीला का मंचन किया गया। रामलीला के मध्य मे भगवान भोले नाथ तथा माता महाकाली की आकर्षक चलित झाँकी का प्रदर्शन भी किया गया।