विजलेंस अगर जाँच कर लेती तो पड़ सकते थे लेने के देने!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। भाजपा शासित नगर पालिका परिषद में नियम कायदों का माखौल किस कदर उड़ाया जा रहा है इसकी एक बानगी शुक्रवार को उस समय देखने को मिली जब बिजली विभाग के द्वारा बबरिया फिल्टर प्लांट में बिजली का कनेक्शन काट दिया गया। दरअसल, जलावर्धन योजना के ठेकेदार की लेट लतीफी से बिजली विभाग के अधिकारियों की नौकरी पर बन आयी थी।
बिजली विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि बबरिया स्थित पालिका के जल शोधन संयंत्र में लगभग एक माह पहले उच्च ताप (ईएचटी) बिजली कनेक्शन कर दिया गया था। इसके साथ ही यहाँ पूर्व में चल रहे निम्न दाब बिजली कनेक्शन को अवरूद्ध कर दिया जाना चाहिये था।
इस संबंध में बिजली विभाग के संभागीय अभियंता वी.के. लोखण्डे ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि उनके विभाग के द्वारा 500 केवीए वाला उच्च ताप कनेक्शन बबरिया फिल्टर प्लांट में कर दिया गया था। लगभग एक माह से जलावर्धन योजना के ठेकेदार के द्वारा यह कहा जा रहा था कि उसके द्वारा मीटर से आगे कनेक्शन के लिये केबिल बुलवायी जा रही है।
उन्होंने कहा कि चूँकि मामला जनता से सीधा (जल प्रदाय) जुड़ा था इसलिये उनके द्वारा ठेकेदार को समय दिया जाता रहा। उन्होंने कहा कि बार – बार चेताने के बाद भी जलावर्धन योजना के ठेकेदार के द्वारा जब केबल बुलवाकर ईएचटी कनेक्शन से लाईन चालू नहीं करवायी गयी तो मजबूरी में बिजली विभाग के द्वारा निम्न ताप वाले कनेक्शन को अवरूद्ध कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस एक माह में अगर बिजली विभाग के सतर्कता (विजलेंस) विभाग के अधिकारियों के द्वारा इसकी जाँच कर ली जाती तो बिजली विभाग के अधिकारियों पर गाज़ गिरना इसलिये तय था क्योंकि एक परिसर में इस तरह के दो कनेक्शन किसी भी कीमत पर प्रदाय नहीं किये जा सकते हैं।
वहीं, नगर पालिका के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि पता नहीं नगर पालिका और प्रशासन के अधिकारी ठेकेदार के खिलाफ कठोर कार्यवाही से क्यों कतरा रहे हैं। ठेकेदार के द्वारा निश्चित समय सीमा के बाद भी जलावर्धन योजना का काम मंथर गति से करने के बाद शहर में उत्पन्न हो रहे जलसंकट के बाद भी पालिका और प्रशासन निश्चिंत ही नजर आ रहा है।
सूत्रों का कहना था कि एक महीने मेें जलावर्धन योजना के ठेकेदार के द्वारा अगर केबिल लाकर ईएचटी कनेक्शन आरंभ नहीं कराया गया है तो यह गंभीर अनियमितता की श्रेणी में आता है। इस बीच अगर सतर्कता विभाग के दल के द्वारा छापा मारा गया होता तो निश्चित तौर पर बिजली विभाग के अधिकारियों को जवाब देना मुश्किल हो जाता। इसके बाद भी जलावर्धन योजना का ठेकेदार पालिका सहित सियासी दलों की आँखों का नूर ही बना हुआ है।