अहाते गायब, कहाँ गटक रहे शराब!

 

 

अघोषित अहातों पर आबकारी विभाग मौन!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। प्रदेश की आबकारी नीति के तहत विदेशी शराब दुकानों के अहातों (जहाँ बैठकर मदिरापान किया जा सकता था) को बंद कर दिये जाने के बाद साल भर से मयजदों के द्वारा रोजाना शराब को कहाँ गटका जा रहा है यह शोध का विषय ही बना हुआ है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार शिवराज सिंह चौहान के नेत्तृत्व वाली प्रदेश सरकार के द्वारा बनायी गयी आबकारी नीति के तहत विदेशी शराब दुकानों के अहातों को बंद कर दिया गया था। वहीं देशी शराब दुकानों के अहाते बदस्तूर जारी रखे गये थे। जिला मुख्यालय में लूघरवाड़ा, बारापत्थर, बस स्टैण्ड और बुधवारी में विदेशी शराब दुकानें हैं।

बताया जाता है कि शराब दुकानों के ठेकेदारों के द्वारा शराब दुकान के पास ही अघोषित अहाते बनाकर मयजदों को पीने की सुविधा मुहैया करवायी जा रही है। इसमें से बस स्टैण्ड की शराब दुकान के बाहर दलसागर तालाब की गुमटियां तो सारा दिन ही अहाते में तब्दील रहती हैं।

बताया जाता है कि दलसागर तालाब वाली शराब दुकान के सामने दलसागर तालाब के किनारे बने फुटपाथ और गुमटियों के आसपास शाम ढलते ही मयजदों की भीड़ बढ़ना आरंभ हो जाती है। यह ताण्डव देर रात तक बदस्तूर जारी रहता है। और तो और यहाँ डिस्पोजेबल, नमकीन के पैकेट आदि के साथ ही खाली शराब की बोतलें भी दलसागर तालाब की सीढ़ियों पर उतराते दिख जाते हैं।

इसके अलावा शहरी सीमा के अंदर अण्डों के ठेलों और सीमा से लगे होटल ढाबों में आधी रात के बाद भी सोडे की डकारें और धुंए के छल्ले उड़ते दिखना आम बात है। इस दिशा में प्रतिबंधात्मक कार्यवाही करने की फुर्सत न तो आबकारी विभाग को दिख रही है और न ही पुलिस को।

शहर के अंदर काले काँच वाले चार पहिया वाहन भी चलती फिरती बार में ही तब्दील होते दिख रहे हैं। काले काँच वाले चार पहिया वाहनों के अंदर बैठकर भी मयजदों के द्वारा सुनसान इलाकों में जमकर मदिरापान किया जाता है। रात ढलते ही शहर के अनेक मार्गों में अंधेरे का लाभ उठाकर शराब के शौकीन इन वाहनों में भी जाम टकराते दिख जाते हैं।

इतना ही नहीं शहर में सुबह शाम सैर करने वाले लोगों को भी मयजदों की हरकतों के कारण परेशानी से दो चार होना पड़ता है। बारापत्थर स्थित पॉलीटेक्निक कॉलेज के मैदान, अपर बैनगंगा कॉलोनी से बबरिया मार्ग सहित शहर के लगभग सभी नाकों, रेल्वे स्टेशन और रेल की उखड़ी पातों वाले स्थान आदि पर रात ढलते ही मयजदों की टोलियां बैठी दिख जाती हैं।

लोगों का कहना है कि इन लोगों के बीच शराब पीकर होने वाले वाद – विवादों में इनके द्वारा शराब की खाली बोतलों को जोश में आकर वहीं फोड़ दिया जाता है। इसके बाद जब सैर करने के लिये महिलाएं और पुरूष इन स्थानों पर सुबह और शाम पहुँचते हैं तो उनके मार्ग में शराब की बोतलों के टूटे काँच शूल के मानिंद ही नजर आते हैं।