(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। सरकारी भवनों में बिजली की समस्या से निजात दिलाने के लिये अब तक सोलर पैनल सिस्टम पर काम नहीं हो पाया। पिछले आठ माह से यह मामला ठण्डे बस्ते में पड़ा है जबकि पूर्व में इसके लिये सर्वे भी हो चुका है।
जिले में प्राथमिक चरण में होने वाले शिक्षण संस्थान खासकर सरकारी कॉलेज और आईटीआई संस्थानों में अभी तक सोलर सिस्टम नहीं लगाये जा सके हैं। ऐसे हालातो में दूसरे चरण का काम प्रभावित हो गया। हालांकि इसके पीछे असिसमेंट में दिक्कत होना बताया गया है। सौर ऊर्जा योजना के तहत सामान्य बिजली कनेक्शनों की झंझटों से मुक्ति दिलाने के लिये यह काम होना है।
खपत ज्यादा, क्षमता कम : पूर्व में ऊर्जा विभाग के अमले ने जिले के सभी सरकारी कॉलेजों और आईटीआई में सर्वे का काम किया। बिजली विभाग से जो रोजाना खपत बतायी गयी उसके आधार पर जब ऊर्जा विभाग के पास रिपोर्ट पहुँची तब उसमें काफी अंतर आया। सरकारी बिल्डिंगों में जो यूनिट की खपत बतायी गयी, उसके आधार पर विभाग के पास उतनी क्षमता के सोलर पैनल नहीं है। ऐसे में फिर से अधिक क्षमता के सोलर पैनल सिस्टम लगाने के लिये कार्यवाही प्रस्तावित की गयी है।
इतना है प्रति यूनिट का चार्ज : सौर ऊर्जा विभाग ने अपनी ओर से सिस्टम तो निःशुल्क लगाये हैं लेकिन उसके एवज़ में प्रति यूनिट होने वाले खर्च को वसूल करेगा। ढाई से तीन रूपये प्रति यूनिट का चार्ज लिया जायेगा। इसके लिये पैनल का अलग से ही मीटर होगा, जबकि बिजली विभाग सरकारी बिल्डिंगों में कमर्शियल रेट पर बिजली बिल वसूलता है। प्रति यूनिट लगभग 05 रूपये 30 पैसे है। इसी अधिक बिल की समस्या को लेकर सौर ऊर्जा विभाग निजि कंपनी के माध्यम से काम कर रहा है। हालांकि अभी तक जिले में इसके सकारात्मक परिणाम नहीं आये हैं।
सिर्फ यहाँ हैं सोलर सिस्टम : वर्तमान में जिले में कुछ विभागों में विभागीय प्रक्रिया में सोलर सिस्टम लगाये गये हैं। जिला मुख्यालय में कलेक्ट्रट ऑफिस, वन विभाग और अन्य विभागों में सोलर सिस्टम लगाये गये हैं। इसके अलावा वन विभाग के ग्रामीण क्षेत्रीय कार्यालयों में बिजली की समस्या को देखते हुए सोलर पैनल लगाये गये हैं।
स्कूलों में भी सोलर सिस्टम लगाये जाना है लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की समस्या अधिक रहती है ऐसे में वहाँ के स्कूलों और सरकारी बिल्डिगों में सोलर सिस्टम की अधिक माँग है।